पश्चिम बंगाल: राज्य में नागरिक निकाय भर्ती में कथित अनियमितताओं के संबंध में पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम और विधायक मदन मित्रा के परिसरों पर सीबीआई की तलाशी चल रही है। सीबीआई अधिकारी ने ये जानकारी दी है कि मामले में मंत्री और विधायक की संलिप्तता पाई गई है। रविवार की सुबह पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हाकिम और विधायक मदन मित्रा के घर पर CBI की एक टीम ने छापा मारा है। कहा जा रहा है कि नगर निगम में भर्ती में घोटाले को लेकर जांच हो रही है। बता दें कि फिरहाद दो साल पहले भी सीबीआई के चंगुल में फंस चुके हैं। तब केंद्रीय जांच एजेंसी ने नारदा स्कैम में उनसे पूछताछ की थी और अब नागरिक निकाय भर्ती मामले में उनकी संलिप्तता को लेकर सीबीआई ने उनके घर पर रेड की है।
सूत्रों के मुताबिक फिरहाद हकीम घर के अंदर हैं। बताया जा रहा है कि केंद्रीय जांच एजेंसी के कुछ सदस्य घर में घुस गए हैं। हालांकि, चेतला में मेयर के घर को भी सुरक्षाकर्मियों ने घेर लिया है। इसके अलावा सदन के बाहर बड़ी संख्या में केंद्रीय बल तैनात है। इसी बीच फिरहाद समर्थक मेयर के घर के सामने जमा हो गये हैं। मदन मित्रा टीएमसी कमरहटी के तृणमूल के विधायक हैं। जानकारी के मुताबिक ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हाकिम और MLA मदन मित्रा के ठिकानों समेत 15 जगहों पर CBI की छापेमारी हो रही है।
देखें वीडियो
नारद स्टिंग ऑपरेशन में भी मंत्री-विधायक के घर चल रही छापेमारी
शहरी विकास और नगरपालिका मामलों के मंत्री हकीम का टीएमसी में अच्छा खासा प्रभाव है। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही तलाशी शुरू हुई, हकीम के समर्थक उनके घर के बाहर जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। सीबीआई पश्चिम बंगाल में नगर निकायों द्वारा की गई भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही है।
कोलकाता के अलावा, सीबीआई उत्तर 24 परगना के हलीशहर और कांचरापाड़ा भी गई। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई अधिकारियों की एक टीम हालीशहर नगर पालिका के पूर्व चेयरमैन के घर गई। सीबीआई की चार सदस्यीय टीम तृणमूल नेता अंशुमन रॉय के घर भी गयी। इससे पहले, हाकिम और मदन मित्रा दोनों को 2021 में नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार किया गया था। मित्रा को 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ ने इस साल 21 अप्रैल को सीबीआई को नगर निगम भर्ती घोटाला मामले की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दिया था। यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक आवेदन के आधार पर पारित किया गया था। हालांकि, बंगाल सरकार ने आरोप लगाया था कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के पास नगरपालिका मामलों की सुनवाई का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था।