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Hindi News पश्चिम बंगाल कोलकाता: जरूरत पड़ी तो तो बंगाल के शिक्षा मंत्री को करेंगे तलब- हाईकोर्ट

कोलकाता: जरूरत पड़ी तो तो बंगाल के शिक्षा मंत्री को करेंगे तलब- हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि यदि आयोग अवैध रूप से भर्ती किए गए उम्मीदवारों की सेवाएं खत्म करना चाहता है, तो वह आसानी से ऐसा कर सकता है। इसमें क्या बाधा है? आयोग के पास ऐसा करने का अधिकार है।

बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु(फाइल फोटो)- India TV Hindi Image Source : FILE बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु(फाइल फोटो)

कलकत्ता हाईकोर्ट(Calcutta HC) ने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो वह पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु(Education Minister Bratya Basu) को अवैध रूप से राज्य में नियुक्त शिक्षकों की सेवा समाप्ति के फैसले के संबंध में तलब कर सकता है। जज अभिजीत गंगोपाध्याय की बेंच पीठ ने यहां तक कहा कि पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) इस तरह की अनियमितताओं के पीछे खुद 'अपराधी' हो सकता है। 

'आयोग के पास सेवाएं खत्म करने का अधिकार है'

जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने कहा कि यदि आयोग अवैध रूप से भर्ती किए गए उम्मीदवारों की सेवाएं खत्म करना चाहता है, तो वह आसानी से ऐसा कर सकता है। इसमें क्या बाधा है? आयोग के पास ऐसा करने का अधिकार है। अगर आयोग इस मामले में कुछ नहीं कर पाता है तो जरूरत पड़ने पर राज्य के शिक्षा मंत्री को भी तलब करना पड़ सकता है।

'184 में से 81 पहले से ही कार्यरत'

कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक, वेस्ट बंगाल स्कूल सेवा आयोग ने दो अलग-अलग चरणों में कुल 184 उम्मीदवारों की लिस्ट प्रकाशित की है, जो अवैध रूप से सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के रूप में भर्ती हुए थे। सामने आया है कि 184 उम्मीदवारों में से 81 पहले से ही विभिन्न स्कूलों में शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं।

जानकारी के मुताबिक उस 81 में से नौ ने फिर से शुक्रवार को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने WBSSC को इन नौ उम्मीदवारों के लिए आयोग के वकील और डब्ल्यूबीएसएससी अध्यक्ष के वकीलों द्वारा भाग लेने के लिए तुरंत एक बैठक की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। उन्होंने आदेश दिया कि बैठक में इन नौ उम्मीदवारों की OMR शीट की समीक्षा की जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनका नाम मेरिट लिस्ट में कैसे आया, इसकी अदालत को एक रिपोर्ट पेश करें।

22 दिसंबर को होगी अगली सुनवाई

न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा कि मैं इस बात का उचित जवाब चाहता हूं कि कैसे उनके नाम दूसरों से आगे निकल गए और सिफारिश लिस्ट में उन्हें एक जगह मिली। मामले में अनावश्यक तर्क-वितर्क करने की जरूरत नहीं है। मामले में अगली सुनवाई 22 दिसंबर को तय की गई है।