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Hindi News पश्चिम बंगाल महिला कांस्टेबल से रेप के आरोप में BSF इंस्पेक्टर सस्पेंड, तृणमूल ने BJP पर साधा निशाना

महिला कांस्टेबल से रेप के आरोप में BSF इंस्पेक्टर सस्पेंड, तृणमूल ने BJP पर साधा निशाना

कुणाल घोष ने ट्वीट किया था कि नादिया के किशनगंज कैंप में एक महिला BSF कांस्टेबल से BSF कमांडर ने बलात्कार किया।

BSF Inspector Rape, BSF Inspector Rapes Constable, BSF Inspector Rape Case Bengal- India TV Hindi Image Source : FILE BSF के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के किशनगंज इलाके में एक बॉर्डर पोस्ट पर महिला कांस्टेबल का रेप करने के आरोप में BSF के एक इंस्पेक्टर को सस्पेंड करके उसके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गयी है। BSF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में तुंगी सीमा पर तैनात इस इंस्पेक्टर पर आरोप है कि उसने 19 फरवरी को कैंपस के अंदर महिला BSF कांस्टेबल के साथ बलात्कार किया था।

तृणमूल कांग्रेस ने BJP पर साधा निशाना
बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के महासचिव कुणाल घोष ने ट्वीट कर घटना पर बीजेपी की प्रदेश इकाई की प्रतिक्रिया मांगी। कुणाल घोष ने ट्वीट किया था, ‘नादिया के किशनगंज कैंप में एक महिला BSF कांस्टेबल से BSF कमांडर ने बलात्कार किया। BSF पीड़िता को SSKM ले जाया गया। भवानीपुर थाने में जीरो FIR दर्ज की गयी है। कमांडर को सस्पेंड कर दिया गया है। अब BJP क्या कहेगी?’

‘घटना की जानकारी उसी दिन दी गयी’
BSF के अधिकारी ने कहा, ‘इस घटना की जानकारी उसी दिन दी गयी थी। इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है और उसके विरूद्ध विभागीय जांच शुरू की गयी है।’ उन्होंने कहा कि महिला कांस्टेबल को मेडिकल टेस्ट के लिए भेजा गया है और उसने FIR भी दर्ज करायी है। अधिकारी ने विभागीय जांच के पूरा होने तक आरोपी इंस्पेक्टर का ब्योरा देने से इनकार कर दिया।

BSF कानून में संशोधन बना था बड़ा मुद्दा
बता दें कि कुणाल घोष का ट्वीट BSF के अधिकार क्षेत्र को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के बीच विवाद को लेकर था। बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने जब BSF कानून में संशोधन कर उसे पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर तक तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार दिया था, तब यह बंगाल में एक बड़ा मुद्दा बन गया था और तृणमूल ने इस फैसले के खिलाफ विधानसभा से एक प्रस्ताव पारित किया था।