कोलकाता: पश्चिम बंगाल के बीरभूम हत्याकांड पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा है कि नरसंहार "सुनियोजित और संगठित तरीके से" किया गया था और यह घटना तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेता भादु शेख की हत्या का "सीधा नतीजा" थी। केन्द्रीय जांच एजेंसी ने 20 से अधिक पन्नों की रिपोर्ट में यह भी कहा है कि बोगतुई गांव में जिन सात लोगों के जले हुए शव बरामद किए गए थे, उन्हें "जिंदा जलाने से पहले उन पर हमला किया गया था।’’
सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, "बोगतुई में आग लगाने और हत्या करने की नृशंस घटना उसी दिन (21 मार्च) रात साढ़े आठ बजे भादू शेख नामक व्यक्ति की हत्या का सीधा नतीजा है।" इसमें कहा गया है कि भादु शेख की हत्या के बाद, उसके करीबी सहयोगी और उसके समूह के सदस्य हिंसक हो गए और वे गैरकानूनी तरीके से एकत्र हुए तथा सुनियोजित और संगठित तरीके से प्रतिद्वंद्वी समूह के परिवार के सदस्यों के घरों को जला दिया और उनकी हत्या कर दी। सीबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि दो समूहों के बीच लंबे समय से प्रतिद्वंद्विता चली आ रही थी और उनमें से एक समूह भादू शेख का था और दूसरा समूह पलाश शेख तथा सोना शेख का था।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘ प्रतिद्वंद्वी समूहों के समर्थकों के घरों को जलाने और परिवार के सदस्यों को मारने की योजना में, पलाश शेख और अन्य के घरों में आग लगा दी गयी थी। प्रतिद्वंद्वी समूहों से संबंधित परिवार के सात सदस्यों और रिश्तेदारों पर हमला किया गया और सोना शेख के घर में उन्हें जिंदा जला दिया गया। दो अन्य लोगों की इलाज के दौरान मौत हो गई।" इसमें कहा गया है कि दोनों समूह के बीच प्रतिद्वंद्विता का कारण "स्थानीय क्षेत्र में दबदबे के लिए उनकी दुश्मनी और वाणिज्यिक वाहनों और दूसरी अवैध गतिविधियों से धन के अवैध संग्रह से होने वाली कमाई पर नियंत्रण’’ था।
पिछले महीने हुई इस घटना में नौ लोगों की झुलसने से मौत हो गई थी। कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली और 25 मार्च को मामला दर्ज किया। जांच एजेंसी ने एक दिन पहले ही इन हत्याओं के सिलसिले में मुंबई से चार लोगों को गिरफ्तार किया था। तृणमूल नेता और रामपुरहाट ब्लॉक -1 के पूर्व अध्यक्ष अनारुल हुसैन और 21 अन्य को बीरभूम पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वे भी सीबीआई की हिरासत में हैं।