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पश्चिम बंगाल में सामने आए कोरोना वायरस के 17,207 नए मामले, 77 की मौत

पश्चिम बंगाल में बुधवार को कोरोना वायरस के 17,207 नए मरीजों की पुष्टि हुई जो एक दिन में सर्वाधिक बढ़ोतरी है जिसके बाद राज्य में कुल मामले 7,93,552 हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में बताया गया है कि 77 और संक्रमित के दम तोड़ने के बाद मृतकों का आंकड़ा 11,159 हो गया है।

Bengal reports record 17,207 fresh COVID-19 cases, 77 more deaths- India TV Hindi Image Source : PTI पश्चिम बंगाल में बुधवार को कोरोना वायरस के 17,207 नए मरीजों की पुष्टि हुई जो एक दिन में सर्वाधिक बढ़ोतरी है।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में बुधवार को कोरोना वायरस के 17,207 नए मरीजों की पुष्टि हुई जो एक दिन में सर्वाधिक बढ़ोतरी है जिसके बाद राज्य में कुल मामले 7,93,552 हो गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन में बताया गया है कि 77 और संक्रमित के दम तोड़ने के बाद मृतकों का आंकड़ा 11,159 हो गया है। महानगर में 22 संक्रमितों की मौत हुई जिसके बाद उत्तर 24 परगना में 16 और हावड़ा में पांच लोगों की जान गई। बुलेटिन के मुताबिक, कोलकाता में 3821 नए मामले आए जबकि उत्तर 24 परगना में 3778 मरीजों की पुष्टि हुई है। बुलेटिन में बताया गया है कि बंगाल में संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 1,05,812 हो गई है जबकि 6,76,581 लोग संक्रमण मुक्त हो चुके हैं। 

इस बीच तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार और निर्वाचन आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके हाथ कोविड-19 मरीजों के खून से सने हैं क्योंकि कोरोना वायरस के गंभीर खतरे को उन्होंने नजरअंदाज किया। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि नजरअंदाज किए जाने के कारण ही अप्रैल महीने के दौरान पश्चिम बंगाल में महामारी तेजी से फैलती गयी।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत राय ने संवाददाताओं से कहा कि अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 50 रैलियों को संबोधित किया। कोविड-19 के मामलों में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद हर दिन औसतन दो जनसभा आयोजित की गयी। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने अंतिम तीन चरण के चुनाव एक साथ कराने के तृणमूल कांग्रेस के अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया। इस वजह से अंतिम के दो चरण में 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को मतदान कर्मियों समेत 1.4 करोड़ से ज्यादा लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा। 

राय ने कहा, ‘‘केंद्र और निर्वाचन आयोग के हाथों पर कोविड-19 मरीजों का खून हैं क्योंकि उन्होंने लोगों के स्वास्थ्य को खतरे की उपेक्षा की और अपने एजेंडे पर डटे रहे। मद्रास उच्च न्यायालय ने भी निर्वाचन आयोग को फटकार लगायी है।’’ 

हमला जारी रखते हुए राय ने कहा, ‘‘केंद्र में भाजपा नेतृत्व वाली सरकार और निर्वाचन आयोग के कदमों के कारण अप्रैल में पश्चिम बंगाल में महामारी फैलती गयी। मार्च में संक्रमण उतना नहीं फैला था।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कोरोना वायरस टीकाकरण के संबंध में भी लोगों को गुमराह किया।