कोलकाता: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के एक अनुरोध पर फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी के खिलाफ मामला चलाने की मंजूरी दे दी है। ये सभी उस समय मंत्री थे जब कथित नारदा स्टिंग टेप सामने आया था। यह जानकारी राज भवन के एक अधिकारी ने रविवार को दी।
विशेष कार्याधिकारी (संचार), राजभवन द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, ‘‘माननीय राज्यपाल कानून के संदर्भ में मंजूरी प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं क्योंकि वे संविधान के अनुच्छेद 164 के संदर्भ में ऐसे मंत्रियों की नियुक्ति प्राधिकारी हैं।’’ ये चारों 2014 में तब ममता बनर्जी कैबिनेट में मंत्री थे जब टेप कथित तौर पर बनाए गए थे।
हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में हकीम, मुखर्जी और मित्रा तृणमूल कांग्रेस के फिर से विधायक चुने गए हैं, जबकि भाजपा में शामिल होने के लिए टीएमसी छोड़ चुके चटर्जी ने दोनों पार्टियों के साथ संबंध तोड़ लिए हैं।
बयान में कहा गया है कि चार नेताओं के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी धनखड़ द्वारा तब दी गई जब ‘‘CBI ने एक अनुरोध किया और मामले से संबंधित सभी दस्तावेज मुहैया कराये और माननीय राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल किया, क्योंकि वह इस तरह की मंजूरी के लिए सक्षम प्राधिकारी हैं।’’
नारद स्टिंग टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनावों से पहले सार्वजनिक किए गए थे। दावा किया गया था कि इन्हें 2014 में बनाया गया था और इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले व्यक्तियों को कथित रूप से वादा किए गए अनुग्रहों के बदले में एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से धन प्राप्त करते दिखाया गया था।
स्टिंग ऑपरेशन कथित तौर पर नारद न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल द्वारा किया गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मार्च, 2017 में स्टिंग ऑपरेशन की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।