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Hindi News पश्चिम बंगाल बंगाल विधानसभा में BJP विधायक ने ‘गोरखालैंड’ के समर्थन में लगाए नारे, अब क्या होगा पार्टी का रुख?

बंगाल विधानसभा में BJP विधायक ने ‘गोरखालैंड’ के समर्थन में लगाए नारे, अब क्या होगा पार्टी का रुख?

बीजेपी विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा ने पश्चिम बंगाल से अलग गोरखालैंड राज्य की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि इस मामले के स्थायी राजनीतिक समाधान को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से पर्याप्त पहल नहीं की गयी है।

Gorkhaland, Gorkhaland Bengal, Gorkhaland Bishnu Prasad Sharma- India TV Hindi Image Source : FILE पश्चिम बंगाल की कर्सियांग विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा के मॉनसून सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को सदन में राज्य के बंटवारे की मांग उठी। सूबे की कर्सियांग विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के विधायक बिष्णु प्रसाद शर्मा ने अलग गोरखालैंड राज्य के पक्ष में अपनी आवाज उठाई। बंगाल विधानसभा का सत्र दिन में जैसे ही शुरू हुआ, बिष्णु प्रसाद शर्मा ने दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कर्सियांग के पहाड़ी क्षेत्रों के साथ ही उत्तरी बंगाल के तराई और डुआर्स क्षेत्रों के मैदानी इलाकों के कुछ हिस्सों को काटकर प्रस्तावित अलग राज्य के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए। अब इस मुद्दे पर पार्टी का रुख देखना है कि क्या रहता है।

‘मैंने इस मुद्दे पर कायम रहने का फैसला किया है’
बिष्णु प्रसाद शर्मा ने विधानसभा से बाहर कहा, ‘नई दिल्ली में इस मुद्दे पर रोजाना कई संगठन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। पहाड़ के एक निवासी ने दार्जिलिंग के जिला मजिस्ट्रेट को आमरण अनशन आंदोलन करने के लिए अनुमति देने से जुड़ा पत्र दिया है। इस स्थिति में मैं इस मुद्दे से अलग नहीं रह सकता। मैंने इस मुद्दे पर कायम रहने का फैसला किया है।’ बिष्णु प्रसाद शर्मा ने हाल में संपन्न पंचायत चुनावों में पहाड़ी नतीजों के लिए बीजेपी के राज्य नेतृत्व के खिलाफ अपना असंतोष भी व्यक्त किया था।

शर्मा ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर साधा निशाना
शर्मा ने पंचायत चुनावों में खराब नतीजों के लिए परोक्ष रूप से दार्जिलिंग से बीजेपी के लोकसभा सदस्य राजू सिंह बिस्ता को जिम्मेदार ठहराया था और उन्हें 'बाहरी' तक कह दिया था। शर्मा ने कहा था कि हाल के ग्रामीण निकाय चुनावों में पहाड़ों में पार्टी और उसके सहयोगियों के खराब नतीजे बाहरी लोगों के एक वर्ग के झूठे वादों के कारण है जिन्हें पहाड़ी इलाकों के लोगों पर थोप दिया गया था। उन्होंने कहा कि उनके झूठे वादों से पहाड़ के लोगों के बीच पार्टी की छवि खराब हुई है, इसी कारण मैं ग्रामीण नगर निकाय चुनावों में भाग लेना नहीं चाहता था। 

‘केंद्रीय नेतृत्व की ओर से पर्याप्त पहल नहीं की गयी’
शर्मा ने यह भी दावा किया कि पहाड़ में स्थायी राजनीतिक समाधान को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की ओर से पर्याप्त पहल नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि पहाड़ियों में स्थायी राजनीतिक समाधान लगातार चुनावों में हमारी पार्टी का प्रमुख वादा था जो कि अभी तक पूरा नहीं हुआ। बता दें कि पश्चिम बंगाल में अलग गोरखालैंड की मांग काफी समय से उठ रही है और इसको लेकर कई बड़े आंदोलन भी हो चुके हैं।