इन ऐतिहासिक स्थलों के दरवाजे हो चुके हैं बंद, जानें क्यों किया गया था ऐसा
आज हम आपको भारत के उन ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताएंगे जो वर्षों से बंद हैं और इन्हें क्यों बंद किया गया ये भी बताएंगे।
भारत ऐतिहासिक स्मारकों और प्राचीन मंदिरों से भरा हुआ देश है। कई जगहों पर अलग-अलग रहस्य भी सामने आते रहते हैं। कई ऐसे भी ऐतिहासिक जगहें हैं जिनके दरवाजे सालों पहले बंद कर दिए गए थे। इन दरवाजों को आजतक नहीं खोला गया है। इन्हें क्यों बंद किया गया इसके पीछे की कहानियां बहुत ही रोचक हैं। आइए आज हम ऐसे ही 5 प्रचीन स्थलों के बारे में बताते हैं जिनके दरवाजे बहुत पहले ही बंद कर दिए गए थे।
कुतुब मिनार
कुतुब मिनार दिल्ली में स्थित है और इसे दुनिया के सबसे ऊंची इमारतों में गिना जाता है। इसे बनाने की शुरुआत कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी और इसका काम इल्तुत्मिश ने पूरा किया था। उस दौरान इस इमारत में जाने के लिए एक दरवाजा भी हुआ करता था। जिसे बाद में बंद कर दिया गया। इसे बंद करने के पीछे यह वजह थी कि 4 दिसंबर 1981 में कुतुब मीनार के अंदर लोगों के साथ एक भयानक हादसा हुआ था। जिसकी वजह से अंदर भगदड़ मच गई और इस भगदड़ में 45 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद ये दरवाजा हमेशा के लिए बंद कर दिया गया।
पद्मनाभस्वामी मंदिर का 7वां दरवाजा
पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम में स्थित है और इसे त्रावणकोर के राजाओं ने बनाया था। यहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस मंदिर के 6 दरवाजों को जब खोला गया था तो भारत सरकार को इसमें से 1 लाख 32 हज़ार करोड़ का खाजाना मिला था। इसका सातवां दरवाजा आज तक नहीं खुल पाया है। ऐसा कहा जाता है कि इस दरवाजे पर भगवान विष्णु के शेषनाग पहरेदारी करते हैं। एक बार एक शख्स ने इस दरवाजे को खोलने की कोशिश की थी तब उसे जहरीले सांप ने काट दिया था।
कोंणार्क सूर्य मंदिर
सूर्य देवता को समर्पित ये मंदिर ओड़िसा के पुरी जिले में है। इसे राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में बनवाया था। जब आक्रमणों और प्रकृतिक आपदा की वजह से मंदिर खराब होने लगा तो उस वक्त के गवर्नर जॉन वुडबर्न ने जगमोहन मंडप के चारों दरवाजों पर दीवारें उठवा दीं और इसमें रेत भर दी गई। जिससे मंदिर पर किसी तरह के आपदा का कोई प्रभाव न पड़े। 1903 में ये दरवाजे बंद हो गए।
ताज महल
दुनिया के 7 अजूबों में से एक आगरा में स्थित ताज महल में 22 दरवाजे बंद हैं। साल 2022 में इन्हें खोलने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। इतिहासविदों के अनुसार, इन कमरों को आखिरी बार 1934 में खोला गया था। कुछ सिद्धांतकारों का मानना है कि ताजमहल के बेसमेंट में कमरे मार्बल से बने हुए हैं। कहते हैं कि तहखाने में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अगर बढ़ती है, तो वो कैल्शियम कार्बोनेट में बदल सकती है, जिससे स्मारक को नुकसान पहुंच सकता है। हालांकि, ताजमहल की उत्तरी दीवार के दो दरवाजे तो ईंटें लगाकर बंद कर दिए गए थे, जबकि साल 1970 से पहले ये दरवाजे खुले हुए थे।
दिगंबर जैन मंदिर
जैन धर्म का सबसे बड़ा मंदिर भारत के अतिशय क्षेत्र बरासो में स्थित है। इसका दरवाजा लगभग 800 सालों से बंद था, जिसे साल 2019 में खोला गया था। इस मन्दिर का दरवाजा खोलते ही लोगो ने देखा कि वहां एक कमरे के नीचे एक और कमरा बना हुआ था, जिसके अंदर बहुत ही प्राचीन समय की कुछ चीजें लोगों को हाथ लगी। इसे देखकर लोगों को बिल्कुल भी ऐसा नहीं लगा कि ये चीजे वर्षों पुरानी हैं। अंदर एक और गुफा मिला था, जिसमें से काफ़ी कूड़ा-कचरा निकला था।
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