धूल की कीमत कुछ भी नहीं होती। शायद इसिलिए लोग ये कहते हैं कि "वह मेरे पैरों के धूल बराबर भी नहीं है", इसका मतलब ये हुआ कि सामने वाले की कोई हैसियत नहीं है। लोग धूल-मिट्टी का कोई महत्व नहीं समझते क्योंकि ये पृथ्वी पर हर जगह मौजूद है। लेकिन सच तो ये है कि अगर धूल-मिट्टी न हो तो धरती पर जीवन मुमकिन नहीं होगा। न कोई पेड़-पौधे उगेंगे और ना ही कोई आनाज उगेगा।
दुनिया की सबसे महंगी धूल
दुनिया में ऐसे कई धूल हैं जो बहुत कम मिलते हैं, जिनकी कीमत करोड़ों में होती है। लेकिन आज हम आपको ऐसे धूल के बारे में बताने जा रहे हैं जो सबसे महंगी है। इसकी कीमत सबसे ज्यादा है। सबसे पहले तो आप ये जान लीजिए कि दुनिया की सबसे महंगी धूल धरती की नहीं बल्कि चांद की है। चांद की धूल की निलामी न्यूयॉर्क के बोनहाम्स में हुई थी। जहां चुटकी भर धूल की कीमत 4 करोड़ रुपए लगाई गई थी। निलामी से पहले इस धूल की कीमत 8-12 लाख रुपए तक आंकी गई थी।
Image Source : Social Mediaचांद की धूल।
3 देशों के पास ही मौजूद है ये धूल
निलाम हुई धूल वहीं धूल है जिसे नील आर्मस्ट्रॉन्ग ने चांद पर उतरते ही उठाई थी। चांद की धूल अपने आप में बहुत कीमती है क्योंकि ये ना केवल दुर्लभ है बल्कि पूरी दुनिया में रिसर्च के लिए इसकी मांग है। चांद की धूल इतनी महंगी इसलिए भी है क्योंकि इसे धरती पर लाने में काफी खर्चा उठाना पड़ता है और पूरी दुनिया में इसे केवल 3 देश ही धरती पर ला पाए हैं। ये तीन देश अमेरिका, रूस और चीन हैं। अमेरिका अपने अपोलो मिशन के तहत 382 किलो के चंद्रमा की चट्टान और धूल जमा किए हुए है। रूस के पास अब तक सभी अभियानों में सिर्फ 300 ग्राम ही चांद के धूल हैं। वहीं, चीन के पास चांद की धूल के 3 किलो तक का स्टॉक है।
Image Source : Social Mediaचांद की धूल।
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