ठंड का मौसम और रात में कड़ाही वाले दूध पीने को मिल जाए तो क्या ही बात। सर्दियों में ये चलन बढ़ जाता है और दूध की दुकानों पर भीड़ लगने लगती है। हालांकि आमतौर पर आपने देखा होगा कि कढ़ाई वाले दूध भट्टी पर ही पकाए जाते हैं और ये भट्टिया तब जलाई जाती हैं जब दूध गर्म करना होता हो। लेकिन जोधपुर की एक दुकान में लगी भट्टी की आग पिछले 75 सालों से जल रही है। दुकान के मालिक विपुल निकुब का दावा है कि इस भट्टी में दूध गर्म करने के लिए पहली बार आग सन 1949 लगाई गई थी। जिसके बाद वह आज तक नहीं बुझी। आज भी ये आग वैसे ही जल रही है।
दुकानदार का दावा- 1949 से जल रही है भट्टी
विपुल का कहना है कि 1949 में उनके दादा ने इस दुकान को शुरू किया था। दुकान रोज चौबीसो घंटे खुली रहती है। उन्होंने बताया कि पिछली दो पिढ़ियों से ये आग जलते आ रही है और वह उस खानदान के तीसरी पीढ़ी के हैं। उनका कहना है कि ये दुकान इस शहर के परंपरा का एक हिस्सा बन चुकी है। हमारी दुकान इतनी फेमस है कि जोधपुर में आने वाले लोगों को यहां आने की सलाह दी जाती है। इस वीडियो को न्यूज़ एजेंसी ANI ने अपने ट्विटर पर शेयर किया है और कैप्शन में लिखा है- राजस्थान में जोधपुर के सोजती गेट के पास एक दूध की दुकान के मालिक का दावा है कि उनके दुकान में जल रही भट्टी 1949 से जल रही है।
दुकान के मालिक ने बताया कि हमारी दुकान इसलिए फेमस है क्योंकि हम दूध गैस सिलेंडर पर गर्म नहीं करते। हम आज भी दूध को भट्टी पर कोयला और लड़की जलाकर पुराने तरीके से गर्म करते हैं। हमारे यहां आने वाले ग्राहक पीढ़ियों से दूध पीने के लिए आते हैं और दूध अपने घर ले जाते हैं। पुराने तरीके से उबाला गया दूध न सिर्फ स्वाद बढ़ाता है बल्कि शरीर की शक्ति को भी बढ़ाता है।
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