दूसरों से बेहतर क्यों था अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग, जानिए पूरी कहानी
आइए आज उनकी बर्थ एनिवर्सिरी के मौके पर जानते हैं कि आखिर आइंस्टीन के दिमाग में ऐसा क्या था कि वे दुनिया के सबसे तेज दिमाग वाले व्यक्ति कहलाए।
आज के दिन यानि की 14 मार्च, 1879 को विज्ञान के गुरू या यूं कहें कि दुनिया के सबसे महान दिमागों में से एक, अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुआ था। इस दिन को 'पाई डे' के नाम से भी जाना जाता हैं। सर आइंस्टीन ने भौतिक विज्ञान की कई असाधारण खोजें कीं।
आइए आज उनकी बर्थ एनिवर्सिरी के मौके पर जानते हैं कि आखिर आइंस्टीन के दिमाग में ऐसा क्या था कि वे दुनिया के सबसे तेज दिमाग वाले व्यक्ति कहलाए और तेज दिमाग की कहावतों में उनका जिक्र होने लगा।
फॉक ने साइंस जर्नल 'ब्रेन' में लिखा है कि आइंस्टीन का दिमाग चेहरे और जुबान को नर्व इंपल्सेस ट्रांसमिट करने वाले हिस्सों में बड़ा था, जिससे शायद उनकी एकाग्रता और दूरदर्शिता जुड़ी हो सकती है। 1955 में अल्बर्ट आइंस्टीन के निधन के सात या आठ घंटे बाद उनके ब्रेन और आंखों को उनकी बॉडी से निकाल कर न्यूयॉर्क में एक सुरक्षित जगह रख लिया गया था। हालांकि इससे पहले कुछ अध्ययनों में कहा गया था कि बोलचाल और भाषा से जुड़ा उनका दिमागी हिस्सा आकार में छोटा था, वहीं गणनाओं और अंकों से जुड़ा हिस्सा बड़ा था।
वैज्ञानिकों ने आइंस्टीन के दिमाग पर कई सालों तक रिसर्च की। उनका दावा है कि आइंस्टीन के दिमाग पर अन्य मस्तिष्क की तुलना में ज्यादा फोल्ड्स (धारियां) थीं। संभवत: यही उनकी होशियारी और समझदारी का कारण भी था। संरक्षित करने से पहले आइंस्टीन के दिमाग के 240 टुकड़े किए गए थे, ताकि हर तरीके से ये जाना जा सके कि आखिर इस दिमाग में ऐसा क्या था कि वे सबसे बड़े जीनियस कहलाए।
आइंस्टीन ने "मास एनर्जी इक्विवेलेंस" यानि की E=mc2 की एक ऐसी थ्योरी दी थी जिसकी वजह से सृष्टि के रहस्य को वे लगभग सुलझा ही चुके थे। 'ब्रह्मसूत्र' की ख़ोज और 'गुरुत्वाकर्षण प्रभाव' सबसे बड़ी खोज में से एक रहे। माना जाता है, आइंस्टीन महात्मा गांधी के बड़े प्रशंसक भी थे।