पुजारी के पास नहीं है भगवान राम का आधार कार्ड, खाने पीने की हुई दिक्कत
इस मंदिर की जमीन भगवान राम जानकी के नाम पर है। अब जमीन के पंजीकरण के लिए इसके मालिक यानी भगवान राम का आधार कार्ड चाहिए।
देश में सभी के लिए आधार कार्ड का नियम जरूरी हो गया है, यह कई तरह से फायदेमंद है और किसी को इसका नुकसान भी हो सकता है, ये सोचा भी नहीं जा सकता। लेकिन यूपी के बांदा जिले में भगवान राम के आधार कार्ड की कमी पुजारियों को खल रही है। जी हां यहां पुजारी भगवान राम के नाम पर पंजीकृत मंदिर की जमीन पर उगाए गए अन्न को सरकारी मंडी में इसलिए नहीं बेच पा रहे क्योंकि उनके पास भगवान के नाम का आधार कार्ड नही हैं।
दरअसल नियम है कि सरकारी मंडी में अन्न बिकने के लिए उक्त जमीन का पंजीकरण जरूरी है। अब पंजीकरण तभी होगा जब जमीन के मालिक के पास आधार कार्ड होगा। अब मंदिर की जमीन तो भगवान के नाम पर है। ऐसे में भगवान का आधार कार्ड कैसे बनेगा, ये देखने वाली बात है। बांदा में जब यह वाकया चर्चा मे आया तो वहां के SDM ने कहा हालांकि पुजारी से आधार कार्ड दिखाने की मांग नहीं की गई लेकिन फिर भी उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई गई है।
बताया जा रहा है कि मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के कुरहरा गांव का है, जहां एक राम जानकी मंदिर है। सात हेक्टेयर जमीन पर बने इस छोटे से मंदिर के पुजारी हैं महंत रामकुमार दास और वे इस सात हेक्टेयर भूमि पर खेती करते हैं जिससे मंदिर के पुजारियों का पेट भरता है। मंदिर की ये सात हेक्टेयर जमीन भगवान राम और माता जानकी के नाम पर है। ऐसे में पंजीकरण के लिए उनका आधार कार्ड जरूरी है। अब पेंच ये आ रहा है कि भगवान का आधार कार्ड कैसे बनेगा।
मंदिर के पुजारी ने कहा कि पिछले साल भी उन्होंने मंदिर की जमीन पर उपजाए अन्न को सरकारी मंडी में बेचा था लेकिन ऐसा कोई नियम नहीं आड़े आया था, फिर इस बार वो आधार कार्ड कहां से लाएं ताकि जमीन का पंजीकरण हो सके।
पंडितों ने मिलकर इस जमीन पर इस बार सौ क्विंटल अन्न उपजाया था, लेकिन वो इसलिए इस अन्न को बेच नहीं पा रहे हैं क्योंकि जमीन का पंजीकरण नहीं है और पंजीकरण तब होगा जब जमीन के मालिक का आधार कार्ड दिखाया जाएगा। अब भगवान राम का आधार कार्ड कहां से बनवाया जाए, पंडितों को ये चिंता खाए जा रही है।
उधर बांदा जिला आपूर्ति अधिकारी, गोविंद उपाध्याय ने भी इस अनोखे मामले पर बयान दिया है - उनका कहना है कि ये सरकार का नियम है कि मठों और मंदिर से उपज यानी अन्न नहीं खरीदा जा सकता। पिछले साल तक सारा अन्न जमीन की खतौनी या खसरा (भूमि का सरकारी रिकॉर्ड) दिखाकर अन्न बेचा जाता था लेकिन इस बार जमीन का पंजीकरण का नियम जरूरी हो गया है इसलिए ये बात उठी है।