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Hindi News वायरल न्‍यूज सफेद ग्लेशियर पर लाल धब्बे देख दुनिया हुई हैरान, वैज्ञानिक बोले 'ग्लेशियर का खून'

सफेद ग्लेशियर पर लाल धब्बे देख दुनिया हुई हैरान, वैज्ञानिक बोले 'ग्लेशियर का खून'

बर्फीले ग्लेशियर पर खूनी धब्बे कहां से आए। क्या यहां कोई कत्लेआम हुआ। यह बदलते मौसम का असर है या कुछ और।

blood stain on snow- India TV Hindi Image Source : JEAN-GABRIEL VALAY/JARDIN DU LAUTARET/U blood stain on snow

सफेद बर्फीले ग्लेशियर इस धरती पर मौसम का संतुलन बनाए रखते हैं। लेकिन अगर इसी ग्लेशियर पर खून जैसे धब्बे देखकर दुनिया हैरान हो रही है। क्या ये मौसम का असर है या किसी हमलावर ने यहां खून की नदियां बहा दी है। लोग इन तस्वीरों को देखकर चौंक रहे हैं वहीं वैज्ञानिकों ने इसे ग्लेशियर का खून कहा है। वैज्ञानिकों का कहा है कि ये मौसम का असर नहीं है लेकिन फिर भी इस खून की जांच करके मामले की सतह तक जाने की कोशिश की जाएगी।

ट्विटर पर जब खून जैसे धब्बे से रंगे ग्लेशियर की फोटोज आई तो इन्हें देखकर लोग हैरान भी हुए और डरे भी। क्योंकि आजकल प्रकृति औऱ धरती दोनों ही रोज नई नई चुनौतियों से जूझ रही हैं और ऐसे में ग्लेशियर पर खूनी रंग कहां से आया, ये भी चिंता का विषय है।

बहरहाल वैज्ञानिकों का आकलन है कि ये काम किसी ऐसे जीव का हो सकता है जो समुद्र में पनपता है और अब ग्लेशियर पर पनप कर इस पर कब्जा करने की फिराक में है। 

फ्रांस में बर्फ से ढकी एल्पस की चोटियों पर एकाएक दिख रहे ये खूनी धब्बे दरअसल माइक्रो एल्गी यानी समुद्र की तलहटी में पनपने वाले शैवाल के कारण बने है। समुद्र में जब माइक्रो एल्गी यानी शैवाल पनपती है तो वहां उसे भीतर मौजूद सूक्ष्म पदार्थ जीवित अवस्था में होते हैं औऱ वो अपना भोजन खुद खोज लेते हैं। लेकिन ये समुद्री शैवाल समुद्र की बजाय हजारों फीट ऊपर ग्लेशियर पर कैसे जमी और इसका रंग लाल कैसे हो गया, ये वैज्ञानिकों की चिंता का विषय है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि ये मौसम में बड़े परिवर्तन का संकेत है और हो सकता है कि आने वाले दिनों में भी मौसम में बदलाव देखने को मिले।

वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र में पनपने वाली शैवाल जब पहाड़ी मौसम में पनवती तो रिएक्शन में लाल रंग छोड़ती है औऱ इसी वजह से सफेद बर्फ पर लाल धब्बे इस शैवाल की कहानी कह रहे हैं।

इस वजह का पता लगाने के लिए बने 'एल्पएल्गा' नामक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे वैज्ञानिक और फ्रांस के ग्रेनोबल में स्थित लेबोरेटरी ऑफ सेल्युलर एंड प्लांट फिजियोलॉजी के डायरेक्टर एरिक मार्शल के अनुसार ये शैवाल हवा और बर्फीले कणों के साथ उड़कर एल्पस की पहाड़ियों तक जा पहुंची औऱ यहां इसका रंग लाल हो गया क्योंकि पॉल्यूशन के संपर्क में आते ही इसका रंग बदल गया। यानी देखा जाए तो वैज्ञानिको का आकलन है कि धरती पर बढ़ा प्रदूषण अब ग्लेशियर तक जा पहुंचा है।