देहरादून। जंगलों में इंसानों की आमद हमेशा से ही जंगली जानवरों के लिए खतरे का कारण बनती है। वहीं टाइगर रिजर्व में पर्यटन को लेकर स्थिति हमेशा से ही चिंता का कारण रही है। यह खतरा अपने शेर एवं अन्य जंगली पशुओं के लिए प्रसिद्ध जिम कार्बेट पर भी है। अब कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) प्रशासन ने वन्यजीवों, खासतौर पर बाघों के लिए खतरे को देखते हुए ढिकाला जोन में रात्रि विश्राम सुविधा को बंद किये जाने की सिफारिश की है ।
पार्क के कार्यकारी निदेशक संजीव चतुर्वेदी ने वन विभाग के शीर्ष अधिकारियों को लिखे एक पत्र में यह सिफारिश की है । चतुर्वेदी ने पत्र में लिखा है कि सीटीआर देश का एकमात्र ऐसा टाइगर रिजर्व है जो पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों को कोर एरिया में रात में रूकने की सुविधा प्रदान करता है । ढिकाला जोन रिजर्व के कोर क्षेत्र में आता है ।
पत्र में कहा गया है, ‘‘कोर क्षेत्र की संवेदनशीलता और वन्यजीवों खासतौर पर बाघों की सुरक्षा को देखते हुए कार्बेट को छोड़कर देश का कोई भी टाइगर रिजर्व अपने कोर क्षेत्र में रात्रि विश्राम की सुविधा नहीं देता ।’’ इस पत्र के अनुसार, पर्यटकों और पार्क में आने वालों को रात्रि विश्राम की सुविधा देना वन्यजीवों के लिहाज से ठीक नहीं है क्योंकि पार्क का स्टॉफ वन्यजीवों के संरक्षण और उनके लिये आवास विकसित करने की अपनी मुख्य जिम्मेदारी की जगह उनकी आवभगत में व्यस्त हो जाता है ।
पत्र में सुझाव दिया गया है कि ढिकाला जोन में रात्रि विश्राम की सुविधा बंद करने से होने वाले राजस्व की भरपाई रिजर्व में दिन में चलने वाली जिप्सियों और कैंटरों की संख्या बढ़ाकर की जा सकती है ।