ASI सर्वे की रिपोर्ट में क्या-क्या मिला? वकील विष्णु शंकर जैन ने बताई सारी बात, यहां जानें सबकुछ
एएसआई की सर्वे रिपोर्ट सामने आने के बाद कई खुलासे हुए हैं। वकील विष्णु शंकर जैन ने गुरुवार को इसकी जानकार दी है। साथ ही उन्होंने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट के हवाले से कहा है कि यह स्पष्ट हो गया है कि यहां पर एक भव्य हिंदू मंदिर था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाया गया है।
वाराणसी: ज्ञानवापी मामले में एएसआई सर्वे की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें मंदिर होने के कई साक्ष्य मिले हैं। हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन को 839 पेज की रिपोर्ट की कॉपी मिल गई है। जानकारी देते हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की जो रिपोर्ट आई है वह स्पष्ट कर रही है कि ज्ञानवापी में क्या था? उन्होंने बताया कि सर्वे रिपोर्ट में लिखा गया है कि 21 जुलाई को दिए गए आदेश के बाद जो सर्वे की कार्रवाई हुई, अंदर जो भी चीजें कार्रवाई के दौरान मिली हैं, उसको डॉक्यूमेंटेशन करके तैयार किया गया है। अंदर जो भी मिला है, आर्किटेक्चर कॉइन, बर्तन, टेराकोटा प्रोडक्ट, मेटल और स्टोन की इन सारी चीजों को सुरक्षित रखा गया है। इसे डिस्ट्रिक एडमिनिस्ट्रेशन को हैंड-ओवर किया गया है।
हिंदू मंदिर के पिलर्स का किया गया इस्तेमाल
वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि सीपीआर सर्वे में ASI ने जो फाइंडिंग पाई हैं, उसमें बताया गया है कि सीपीआर सर्वे में 6 बिंदु शामिल किए हैं। उन्होंने बताया है कि रो 3/4 एम में जो वाइट पिलर्स हैं, उसमें कॉरिडोर के बगल में एक चौड़ा कुआं उनको दिखाई दिया है। ASI की तरफ से वर्तमान स्ट्रक्चर को लेकर उन्होंने जो फाइंडिंग दी है, उसमें उन्होंने कहा है कि सेंट्रल चैंबर और मेन एंट्रेंस और फ्री इन टर्निंग स्ट्रक्चर में एक-एक एक्जिस्टिंग स्ट्रक्चर मौजूद है। वेस्टर्न चैंबर और वेस्टर्न वॉल में जो पहले का हिंदू मंदिर के पिलर्स हैं उन्हें ही दोबारा इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि प्री एक्जिस्टिंग स्ट्रक्चर के ऊपर यह सारी चीजें बनाई गई हैं और मंदिर के ढांचे के ऊपर सारी चीजों को फिर से बनाया गया है और उसके खंभे का इस्तेमाल किया गया है।
मस्जिद से पहले यहां मौजूद था हिंदू मंदिर
विष्णु शंकर जैन ने बताया कि रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा है कि अरबी और और पर्शियन लैंग्वेज का इस्तेमाल भी जो वहां पर टूटे हुए पत्थर मिले हैं, उन पर किया गया है। उन्होंने बताया कि ASI का जो कंक्लूजन है वह हम बता रहे हैं। उन्होंने कहा है कि यह कहा जा सकता है कि यहां पर एक बहुत बड़ा भव्य हिंदू मंदिर था। इस मस्जिद के निर्माण से पहले यहां पर हिंदू मंदिर मौजूद था यह स्पष्ट है जो बहुत महत्वपूर्ण फाइंडिंग है। सेंट्रल चैंबर और मेन एंट्रेंस को लेकर उन्होंने बताया है कि किस तरह से अलग-अलग दिशाओं में मंदिर के स्ट्रक्चर के ऊपर ही वर्तमान स्ट्रक्चर का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि जो सेंट्रल चैंबर है, उस जगह पर एक चैंबर नॉर्थ में एक ईस्ट में और एक साउथ में मौजूद हैं, जबकि बाकी जगहों पर यह नहीं देखे जा सकते हैं, क्योंकि यहां पर एक स्टोन प्लेटफार्म की फ्लोरिंग की गई है। विष्णु शंकर जैन ने बताया कि वेस्टर्न चैंबर और वेस्टर्न वॉल के बारे में ASI ने कहा है कि यह पूरा स्ट्रक्चर मंदिर का ही है। इसमें कहा गया है कि जो पश्चिमी दीवार स्टोन से बनी हुई है, उसमें तमाम मोल्डिंग स्ट्रक्चर और हिंदू धर्म से जुड़े तमाम चिन्ह मौजूद हैं।
खंभों पर मिले हिंदू निशान
ASI ने बताया है कि यहां पर पहले से मंदिर था और बार-बार इसका जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान स्ट्रक्चर पर बड़े ही सिस्टमैटिक तरीके से प्लास्टर किया गया है। व्यास जी के तहखाना और बाकी तहखानों को लेकर ASI ने कहा है कि पिलर का जो पुराना स्ट्रक्चर है, उसका इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया है। यानी पुराने स्ट्रक्चर पर ही नए स्ट्रक्चर को खड़ा किया गया है। जो हिंदू मंदिर के खंबे थे उनको दोबारा इस्तेमाल किया गया है। जो अंदर खंभे मिले हैं, उसपर कमल सहित अन्य तरह के हिंदू निशान मिले हैं। पिलर्स पर जो डिजाइन थे, उसको भी तोड़कर खराब करने की कोशिश की गई है।
देवनागरी, तेलुगू और कन्नड़ के लिखे मंत्र
विष्णु शंकर जैन ने बताया कि अंदर एक ढांचा मिला है, उसपर जांच के दौरान या पता चला है कि 34 ऐसे स्ट्रक्चर और 32 ऐसे साक्ष्य मिले हैं जो स्पष्ट तौर पर यह बता रहे हैं कि यहां पर पहले से हिंदू मंदिर मौजूद था। उन्होंने बताया कि अंदर जो स्ट्रक्चर मिले हैं, उसमें देवनागरी, तेलुगू और कन्नड़ के मंत्र लिखे हुए मिले हैं। इनको खराब और बर्बाद करने की कोशिश की गई है। ईस्ट हिस्से में कुछ स्ट्रक्चर बनाए गए हैं, जो अंदर पिलर्स मिले हैं उनमें घंटियां हैं और हिंदू मंदिरों के स्ट्रक्चर मौजूद हैं। एक पिलर ऐसा है जो संवत 1669 के आसपास का है। तहखाना के अंदर हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें, मूर्तियां और आर्किटेक्चर की चीज भी मिली हैं। ASI कह रहा है कि जो पहले स्ट्रक्चर था वह 17वीं शताब्दी में औरंगजेब के कार्यकाल में तोड़ा गया है। उसके बाद इसका इस्तेमाल इस मस्जिद को बनाने में किया गया है।
स्कूल और मंदिरों को तोड़ने का दिया था आदेश
उन्होंने बताया कि अंदर एक स्ट्रक्चर ऐसा भी मिला है, जिसपर तीन अलग-अलग भाषाओं की जानकारी के साथ ही जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर के नाम मौजूद मिले हैं, जो अंदर इंगित हैं। आज भी एक ऐसा स्थान भी मिला है जो इन तीन जगहों पर महा मुक्ति मंडप के रूप में स्पष्ट तौर पर लिखा हुआ है। उन्होंने बताया कि जो वहां पर टूटे हुए पत्थर के अवशेष मिले हैं, उनमें जो डिजाइन और लिखी हुई चीजें हैं वह भी स्पष्ट कर रही हैं यह मंदिर का ही हिस्सा है। उन्होंने बताया कि यहां टूटे हुए पत्थर का एक हिस्सा मिला है जो मुख्य मस्जिद के कमरे के अंदर मौजूद था। जो पत्थर मौजूद है वह मोहम्मद आलमगीर और मोहम्मद औरंगजेब के शासनकाल का है। गुरु शंकर जैन ने बताया कि यह पत्थर उस वक्त का है जब औरंगजेब के शासनकाल में मस्जिद बनाने के दौरान और उसकी बायोग्राफी में आलमगीर का जिक्र किया गया। इसमें वह ऑर्डर भी है जिसमें औरंगजेब ने यह स्पष्ट तौर पर आदेश दिया था कि स्कूल और मंदिरों को तोड़ा जाए। 2 सितंबर 1669 में विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्ट्रक्चर को गिरा दिया गया और उसके बाद इस मस्जिद का निर्माण किया गया।
यह भी पढ़ें-
इस राज्य के मदरसों में पढ़ाई जाएगी प्रभु श्रीराम की कहानी, मार्च से लागू किया जाएगा नया पाठ्यक्रम