'जय सिया राम' के नारे लगाते काशी से अयोध्या रवाना हुआ वैदिक ब्राह्मणों का दल- VIDEO
अयोध्या के नए मंदिर में 22 जनवरी को रामलाल विराजमान होने वाले हैं। इसके लिए 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े हुए अनुष्ठान की शुरुआत हो जाएगी। काशी से भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करने वाले वैदिक ब्राह्मण आज वाराणसी से अयोध्या के लिए रवाना हुए।
वाराणसी: अयोध्या के नए मंदिर में रामलाल विराजमान होने वाले हैं। 22 जनवरी को दोपहर 12:30 के अभिजीत मुहूर्त के बीच 84 सेकेंड के विशेष काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला को गर्भगृह में विराजमान करेंगे। इसके लिए 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े हुए अनुष्ठान की शुरुआत हो जाएगी। काशी से भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करने वाले वैदिक ब्राह्मण आज वाराणसी के कारसेवक स्व. गौरी शंकर चौधरी पार्क से जब रवाना हुए तो सभी 55 वैदिक ब्राह्मणों से रवाना होने के पहले काशीवासियों सहित आरएसएस औ विहिप से लोगों ने आरती उतार माल्यार्पण करते हुए पृष्ठ वर्षा कर स्वागत किया, तो वही शिव की नगरी में जयश्री राम के नारे लगा उन्हें अयोध्या के लिए रवाना किया।
11:40 के विशेष मुहूर्त में हुए रवाना
15 जनवरी को दोपहर 11:40 बजे जब अभिजीत मुहूर्त लग जाता है, तब सभी काशी के वैदिक ब्राह्मण अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए रवाना हुए। वैसे तो वैदिक ब्राह्मणों का दल एक दिन पूर्व भी अयोध्या पहुंच चुका है। 14 जनवरी के भोर में ज्योतिषाचार्य गणेश्वर शास्त्री द्रविण सहित कुछ ब्राह्मण अयोध्या पहुंच चुके हैं। वहीं, आज करीब 55 वैदिक ब्राह्मण 2 लग्जरी बसों से हर-हर महादेव और जय श्रीराम करते हुए कूच कर गए। अब 16 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित सहित उनके पुत्र और 10 ब्राह्मण अयोध्या जाएंगे।
देशभर से 150 वैदिक ब्राह्मणों को बुलावा
पंडित जयराम दीक्षित ने बताया कि अब तक काशी से 70 ब्राह्मण जा चुके हैं। 10 ब्राह्मण कल रवाना होंगे और पूरे देश से 150 वैदिक ब्राह्मणों को इस अनुष्ठान के लिए बुलाया गया है। जब भगवान की प्राण प्रतिष्ठा होगी, तो चारों वेदों का समावेश किया जाएगा, जो ब्राह्मण वर्ण के बाद बाद आचार्य निर्धारित करेंगे।
108 कलशों के औषधि से होगा भगवान का अभिषेक
पंडित जयराम दीक्षित ने बात करते हुए बताया कि प्राण-प्रतिष्ठा का आयोजन 16 जनवरी से शुरू हो जाएगा, जिसमें मूर्ति बनाने वाले कलाकार हमें मूर्ति सौप देंगे। उसके बाद 17 जनवरी को सरयू नदी में पूजन के बाद भगवान की यात्रा निकलेगी, जो मंडप तक जाएगी। उसके बाद 18 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा की सारी विधियां शुरू हो जाएंगी। 18 जनवरी को पंचांग पूजन मंडप में षोडशमातृका पूजन किया जाएगा। 19 जनवरी से विस्थापन और भगवान का नाना प्रकार का अधिवासन शुरू होगा। विस्थापन में भगवान का 108 प्रकार के औषधियों से स्नान कराया जाएगा, जो नया मंदिर बना है उसका भी विस्थापन होगा, उसकी भी शुद्धि होती है। उसके लिए 81 कलशों में रखे औषधि से किया जाएगा। इसके साथ ही 19, 20 और 21 जनवरी को भगवान का अधिवास जल से लेकर तमाम अन्न में और फिर शय्या धीवास के बाद अन्य विधियों से साथ होम हवन पूजन किया जाएगा। जब भगवान शैय्या धीवास से उठेंगे तब उनकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को किया जाएगा।
बस ड्राइवर बना केवट
अयोध्या होने के पहले बकायदा इन सभी वैदिक ब्राह्मणों की आरएसएस और विहिप सहित स्थानीय लोगों ने आरती उतारी, तो वहीं माल्यार्पण करते हुए सभी वैदिक ब्राह्मणों पर जमकर पुष्प वर्षा भी की। इन सभी ब्राह्मणों को काशी से अयोध्या लेकर जाने वाले बस के ड्राइवर पंकज सिंह की खुशी का ठिकाना नहीं है, वो मानते हैं कि वो इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने वाले हैं, रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे, तो वह बस ड्राइवर नहीं, बल्कि केवट बनकर भगवान राम की सेवा में लग गए।
- वाराणसी से अश्विनी त्रिपाठी की रिपोर्ट