उत्तर प्रदेश: नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि मुगलों के अध्यायों को नहीं हटाया नहीं गया है। "यह झूठ है कि कोर्स बुक से मुगलों के इतिहास चैप्टर को हटाया गया है। पिछले साल कोविड की वजह से छात्रों पर पढ़ाई का बोझ ज्यादा पड़ रहा था जिसे हमने कम कर दिया। हर जगह छात्रों पर दबाव था।”
यूपी की11वीं और 12वीं क्लास की पाठ्य पुस्तक से मुगल इतिहास के अध्यायों को हटाने के फैसले के बाद विवाद खड़ा हो गया है। इसके बाद NCERT के प्रमुख ने अब एक स्पष्टीकरण जारी किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, NCERT के निदेशक ने बहस को अनावश्यक बताते हुए कहा कि विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की है कि यदि अध्याय को हटा दिया जाता है, तो इससे बच्चों के ज्ञान पर कोई असर नहीं पड़ेगा और एक 'अनावश्यक बोझ' को हटाया जा सकता है। " निदेशक ने कहा कि इस पर बहस अनावश्यक है। जो यह नहीं जानते, वे पाठ्यपुस्तकों की जांच कर सकते हैं।"
हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन कर रहे हैं
एनसीईआरटी प्रमुख ने आगे कहा “हम NEP (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) 2020 के अनुसार काम कर रहे हैं। कोविड को लेकर कई चीजें बदली हैं। एनईपी 2020 छात्रों पर अधिक बोझ को कम करने की बात करता है। हम इसे लागू कर रहे हैं। स्कूली शिक्षा के लिए एनसीएफ (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क) बन रहा है और इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा। NEP के अनुसार 2024 में पाठ्यपुस्तकें छपेंगी। हमने अभी कुछ भी नहीं हटाया है।"
यूपी के डिप्टी सीएम ने कही ये बात
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पीटीआई के हवाले से कहा, "हम अपने छात्रों को एनसीईआरटी की किताबों का इस्तेमाल करके पढ़ाते हैं...संशोधित संस्करण में जो कुछ भी है, उसका पालन किया जाएगा।" बता दें कि अपर मुख्य सचिव (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार ने कहा, 'हम एनसीईआरटी की किताबों का पालन करते हैं और संशोधित संस्करण में जो कुछ भी उपलब्ध है, उसका पालन हम 2023-24 सत्र से राज्य के स्कूलों में करेंगे।'
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