नई दिल्लीः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान सरकारी खजाने से करोडों रुपये खर्च कर अपनी और अपनी पार्टी के सिंबल हाथी की मूर्तियां बनाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी को निपटारा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मायावती के खिलाफ दाखिल कई गई याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है।
याचिका में किया गया था ये दावा
जानकारी के अनुसार, कोर्ट ने 15 साल पहले दाखिल याचिका को पुराना मामला मानते हुए सुनवाई बंद की। सुप्रीम कोर्ट के वकील रविकांत ने 2009 मे याचिका दाखिल कर मांग की थी कि जनता के जितने पैसे का दुरूपयोग हुआ है, वो बहुजन समाज पार्टी से वसूला जाए और जनता के पैसे से पार्टी का सिंबल हाथी को पार्कों में बनाया गया है। इसलिए बसपा का चुनाव चिन्ह जब्त करने का सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को आदेश दे। हालांकि कोर्ट ने याचिकाकर्ता की मांग नहीं मानी।
जन्मदिन पर मायावती को मिली बड़ी राहत
बता दें कि यह फैसला उस दिन आया है जब मायावती अपना 69वां जन्मदिन मना रही हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि मायावती को अपने जन्मदिन पर दोगुनी खुशी मिली। कोर्ट के फैसले से बसपा कार्यकर्ता भी काफी खुश नजर आ रहे हैं।
लखनऊ और नोएडा के पार्क में लगवाई थी मूर्तियां
मायावती ने साल 2009 में करदाताओं के पैसे से लखनऊ और नोएडा के पार्क में अपनी, कांशी राम और हाथियों की मूर्तियां बनवाया था। 2007 से 2012 के बीच मायावती यूपी की मुख्यमंत्री थीं। याचिका में दावा किया गया कि 52.20 करोड़ रुपये की लागत से साठ हाथी की मूर्तियां स्थापित करना सरकारी धन की बर्बादी है और चुनाव आयोग द्वारा जारी निर्देशों के विपरीत है।
मायावती ने किया था ये दावा
उस समय मायावती ने दावा किया कि स्मारकों में हाथी की मूर्तियां "महज वास्तुशिल्प डिजाइन" थीं और उनकी पार्टी के प्रतीक का प्रतिनिधि नहीं थीं। उन्होंने कहा कि मूर्तियों के लिए उचित बजट आवंटन किया गया था। चार बार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि स्मारकों का निर्माण इसलिए किया गया ताकि लोग उनसे प्रेरणा लें और यह लोगों की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है।