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Hindi News उत्तर प्रदेश नौकरी के नाम पर करते थे ठगी, लाखों लूटकर बना ली नई कंपनी, 17 साल बाद पुलिस ने पति-पत्नी को पकड़ा

नौकरी के नाम पर करते थे ठगी, लाखों लूटकर बना ली नई कंपनी, 17 साल बाद पुलिस ने पति-पत्नी को पकड़ा

अमित श्रीवास्तव और उनकी पत्नी शिखा श्रीवास्तव 17 साल से फरार थे। अब उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष टीम ने उन्हें अहमदाबाद से गिरफ्तार किया है। ये दोनों मिलकर एक सॉफ्टवेयर कंपनी चलाते थे।

Amit Shrivastav shikha Shrivastav- India TV Hindi Image Source : INDIA TV आरोपी पति पत्नी

उत्तर प्रदेश पुलिस की विशेष टीम ने बेरोजगारों से लाखों की ठगी करने वाले पति-पत्नी अमित श्रीवास्तव  और पत्नी शिखा श्रीवास्तव को 17 साल बाद गिरफ्तार किया है। इन दोनों के ऊपर 50-50 हजार रुपये का इनाम था। इन्हें अहमदाबाद की बेकरी सिटी के शिवान्ता अपार्टमेंट से गिरफ्तार किया गया। प्रयागराज जिले के जार्ज टाउन थाने में इन दोनों के खिलाफ जालसजी की शिकायत दर्ज थी। ये दोनों प्रयागराज में इंन्फोकॉन्स कंसलटेंस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर बेरोजगारों से ठगी करते थे ।

जालसाज अमित श्रीवास्तव खुद को कंपनी का मैनेजिंग डायरेक्टर और पत्नी शिखा श्रीवास्तव क़ो सह डाइरेक्टर बनाकर ठगी करता था। एसटीएफ के अनुसार कंपनी मे लोगों को सॉफ्टवेयर डेवलपर और इंजीनियर के पद पर नौकरी दी जाती थी। नौकरी लगने पर 80 हजार से 1 लाख तक की सिक्योरिटी मनी जमा कराई जाती थी। बेरोजगारों का काफी पैसा जमा होने के बाद ये दोनों प्रयागराज छोड़कर भाग गए थे।

गुजरात में हुई गिरफ्तारी

प्रयागराज छोड़ने के बाद ये दोनों दिल्ली पहुंचे थे और वहां भी कुछ समय तक जालसाजी की। इसके बाद ये दोनों गुजरात में रहने लगे थे। यूपी एसटीएफ ने दंपत्ति पति-पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है। अब इन्हें अहमदाबाद की कोर्ट में पेश कर प्रयागराज लाने के लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है। आरोपियों के पास से 2 मोबाइल फोन और 600 रुपये बरामद किए गए हैं।

पूछताछ में खुलासा

अमित श्रीवास्तव ने बताया कि जनपद प्रयागराज के थाना क्षेत्र जार्जटाउन में उसने इन्फोकान्स कन्सलटेन्टस प्राइवेट लिमिटेड नामक एक कंपनी खोली थी। वह खुद इसका मैनेजिंग डायरेक्टर और उसकी पत्नी शिखा श्रीवास्तव सह डायरेक्टर थी। इस कंपनी में लोगों से पैसा जमा कराकर साफ्टवेयर डेवलपर और इंजीनियर के पद पर नौकरी दी जाती थी। उन्हें वेतन के रूप में प्रतिमाह 8500/- रूपये दिये जाते थे। सिक्योरिटी के रूप में प्रति व्यक्ति पद के अनुसार 80,000/- से 1,00,000/- रुपये जमा करा लिये जाते थे। सर्विस एग्रीमेन्ट में तीन वर्ष तक कंपनी में कार्य करने का अनुबंध और तीन साल बाद सिक्योरिटी मनी वापस करने के साथ-साथ छह महीने काम करने के बाद वेतन बढ़ाने की बात भी कही जाती थी।

महाराष्ट्र बैंक में 10 लाख रुपये फ्रीज

लोगों से अच्छी खासी सिक्योरिटी मनी इकट्ठा करने के बाद ये दोनों सारे पैसे लेकर फरार हो गए। महाराष्ट्र बैंक, प्रयागराज में इनके लगभग 10 लाख रुपये फ्रीज हैं। जनपद प्रयागराज में स्कूलों में एडमिशन से लेकर लेनदेन के हिसाब तक के लिए सॉफ्टवेयर की सप्लाई इनकी कंपनी करती थी। प्रयागराज छोड़ने के बाद कुछ साल तक ये दोनों दिल्ली में रहे। इसके बाद गुजरात के अहमदाबाद में शिवान्ता अपार्टमेन्ट में घर खरीदकर रहने लगे।  लगभग 6-7 साल से दोनों यहीं रह रहे थे। 

एक सॉफ्टवेयर की कीमत लगभग 20-25 हजार रुपये

गुजरात में भी इन दोनों ने जिमनी सॉफ्टवेयर के नाम से एक कंपनी खोली थी। यह मेडिकल से जुड़े काम के लिए सॉफ्टवेयर का काम करती है साथ ही दुबई में इसका वर्चुअल आफिस भी है। जहां पर 12-15 लोग काम करते हैं। यहां विदेशों में मेडिकल कार्य से जुड़े सॉफ्टवेयर की सप्लाई का काम भी होता है। भारत में बेंगलुरू, कोलकाता, जयपुर और प्रयागराज के युनाइटेड मेडिकल कालेज में इस कंपनी के सॉफ्टवेयर की सप्लाई की गयी है। एक सॉफ्टवेयर की कीमत लगभग 20-25 हजार रुपये है।

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