अब पूर्व मेजर जनरल हुए 'डिजिटल अरेस्ट' का शिकार, जानिए हैकर्स ने कैसे ठगे 2 करोड़ रुपये? थाइलैंड से जुड़ा कनेक्शन
पुलिस ने तीन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया है। सभी गिरफ्तार आरोपी जयपुर के रहने वाले हैं। पुलिस ने कहा कि आरोपियों ने साइबर हैकर्स का इस्तेमाल कर डिजिटल अरेस्ट करने का तरीका भी बताया है।
साइबर क्राइम से जुड़े लोगों ने ठगी करने का एक नया तरीका इजात किया है। इसे डिजिल अरेस्ट कहा जाता है। उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर जिले में डिजिटल अरेस्ट का नया मामला सामने आया है। साइबर क्राइम से जुड़े लोगों ने नोएडा में रिटायर मेजर जनरल को ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर लिया। डिजिटल अरेस्ट के साथ ही रिटायर मेजर जनरल से दो करोड़ रुपये की ठगी भी कर ली।
ऑनलाइन माध्यम से डराया
नोएडा की साइबर क्राइम थाना पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों को जयपुर से गिरफ्तार किया है। ‘डिजिटल अरेस्ट’ में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से गिरफ्तार हो गया है। उसे जुर्माना देना होगा।
थाइलैंड से निकला कनेक्शन
साइबर क्राइम पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने डिजिटल अरेस्ट कर धोखाधड़ी के लिए एक बैंक खाता उपलब्ध कराया था। ठगी की वारदात थाईलैंड में बैठे साइबर अपराधियों के गिरोह ने की थी।
तीनों आरोपियों की हुई पहचान
पुलिस उपायुक्त (साइबर क्राइम) प्रीति यादव ने शनिवार को बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान जयपुर के रहने वाले कानाराम (30), ललित कुमार (22) और सचिन कुमार (30) के रूप में हुई है।
पांच दिन तक रखा डिजिटल अरेस्ट
उन्होंने बताया कि नोएडा के सेक्टर-31 निवासी रिटायर मेजर जनरल ने 28 अगस्त को साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनके साथ दो करोड़ रुपये की ठगी हुई है। पीड़ित के अनुसार, उन्हें पांच दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा गया था। ठगी से पहले फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को एक कुरियर कंपनी का कर्मचारी बताया था।
पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और ड्रग्स की जब्ती का दिया झांसा
उन्हें बताया गया कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल कर एक पार्सल ताइवान भेजा जा रहा था, जिसमें पांच पासपोर्ट, चार बैंक के क्रेडिट कार्ड, कपड़े, 200 ग्राम मादक पदार्थ और एक लैपटॉप समेत अन्य अवैध सामान है।
आधार से की गई छेड़छाड़
शिकायत के अनुसार, पीड़ित से कहा गया कि अगर उन्हें ऐसा लग रहा कि उनके आधार कार्ड के साथ छेड़छाड़ हुई है तो मुंबई अपराध शाखा में इसकी शिकायत करनी होगी। इसके बाद व्हाट्सएप कॉल के जरिये अजय कुमार बंसल नाम के कथित मुंबई पुलिस अधिकारी और शिकायतकर्ता का संपर्क कराया गया।
CBI का एक फर्जी पत्र भी भेजा
जालसाजों ने पीड़ित के पास केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का एक फर्जी पत्र भेजा, जिसमें लिखा था कि अगर उसे जेल जाने से बचना है तो पूछताछ संबंधी कोई भी जानकारी परिवार के लोगों से साझा नहीं करनी होगी।
अभी आरोपियों से पूछताछ कर रही पुलिस
कैमरे के जरिये ठग मेजर जनरल पर नजर गड़ाए रहे। इस दौरान दावा किया गया कि मेजर जनरल पर कभी भी हमला हो सकता है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि इसके बाद पुलिस अधिकारी बन कर ठग ने पीड़ित की वित्तीय जानकारियां पूछी और उन्हें रकम विभिन्न बैंक खातों में भेजने के लिए कहा। पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर जुड़े अन्य आरोपियों का पता लगाने में जुटी है।
भाषा के इनपुट के साथ