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Hindi News उत्तर प्रदेश यूपी: सपा को लगा करारा झटका, गिरफ्तार किए गए MLA रफ़ीक अंसारी, न्यायिक हिरासत में भेजे गए

यूपी: सपा को लगा करारा झटका, गिरफ्तार किए गए MLA रफ़ीक अंसारी, न्यायिक हिरासत में भेजे गए

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान एक जून को होने वाला है, इससे पहले समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा है। सपा विधायक रफीक अंसारी को पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया है।

rafeeq ansari- India TV Hindi सपा विधायक रफीक अंसारी गिरफ्तार

लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान एक जून को होने वाला है और नतीजे चार जून को आ सकते हैं। इससे पहले यूपी में समाजवादी पार्टी को करारा झटका लगा है। मेरठ पुलिस ने समाजवादी पार्टी के  विधायक रफ़ीक अंसारी को लखनऊ से गिरफ़्तार कर लिया है। उनकी गिरफ्तारी के पीछे की वजह हाई कोर्ट की सख़्त टिप्पणी और 101 एनबीडब्लू नोटिस के बाद भी कोर्ट में पेश नहीं होना बताया गया है। कहा जा रहा है कि बार बार नोटिस भेजने के बाद भी सपा विधायक रफीक अंसारी पेश नहीं हो रहे थे। वे अपने सभी विभागीय कार्य कर रहे थे लेकिन कोर्ट की नोटिस का संज्ञान नहीं ले रहे थे। 

मेरठ विधानसभा सीट से सपा विधायक रफीक अंसारी की पुलिस तलाशी कर रही थी और पुलिस की लगातार छापेमारी के बाद उन्हें आखिरकार लखनऊ से सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया है। मेरठ के एसएसपी ने विधायक की गिरफ़्तारी के लिए पुलिस की एक टीम गठित की थी, इस टीम ने छापेमारी के बाद उन्हें गिरफ्तार किया है।  

सपा विधायक रफीक अंसारी को मेरठ लेकर पहुंची पुलिस और अभी रात में MP, MLA कोर्ट में रफीक अंसारी को किया गया पेश। बता दें कि दोपहर लखनऊ से वापस मेरठ आते समय रफीक अंसारी को किया गया था गिरफ्तार। 100 से अधिक NBW जारी होने के बाद भी कोर्ट में नही हुए थे पेश।

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इस वजह से कोर्ट ने खारिज की याचिका

बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1995 के एक मामले में मेरठ के विधायक रफीक अंसारी को राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद विधायक ने कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें NBW के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने इस याचिका को इसलिए खारिज कर दिया था क्योंकि सपा के नेता रफीक अंसारी ने साल 1997 और 2015 के बीच 100 से अधिक गैर-जमानती वारंट जारी होने के बावजूद अदालत में पेश नहीं हो रहे थे।

जस्टिस संजय कुमार सिंह की पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए कहा कि, मौजूदा विधायक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट का निष्पादन नहीं करना और उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने की अनुमति देना एक खतरनाक और गंभीर मिसाल कायम करता है। इस वजह से उनकी याचिका खारिज की जाती है।

(यूपी से हिमा अग्रवाल की रिपोर्ट)