यहां की महिलाएं चाह कर भी नहीं रखती करवा चौथ का व्रत, इस श्राप की वजह से उजड़ जाता है सुहाग
इस गांव में नई नवेली दुल्हन करवा चौथ पर श्राप के डर से 15 दिन पहले श्रृंगार करना छोड़ देती है और पति से मिलना तो दूर, उनसे बात तक नहीं करती है। वह इस कदर डर जाती है कि इस दिन खाना भी ठीक से नहीं खा पाती।
भले ही देश अंतिरक्ष की ओर छलांग लगा रहा है, लेकिन रूढ़िवादी विचारधारा से समाज का एक वर्ग अभी भी उबर नहीं पा रहा है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक ऐसा गांव है जहां पति की सलामती के लिए आज भी महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं। सैकड़ों साल पहले सती द्वारा दिए गए श्राप की वजह से यहां की सुहागिन महिलाओं के मन में आज भी खौफ रहता है। यहां करवा चौथ का व्रत आते ही पूरे गांव में सन्नाटा पसर जाता है और सुहागिन महिलाएं व्रत रखना तो दूर पूजा भी नहीं करती।
क्या है श्राप की पूरी कहानी?
यह कहानी है मथुरा के सुरीर कस्बे की जहां आज भी सुहागिन महिलाएं अपने पति का करवा चौथ वाले दिन मुंह नहीं देखती। सुरीर कस्बे के वधा मोहल्ले में वैसे तो हर दिन आम होता है लेकिन जैसे- जैसे सुहागिन महिलाओं का पर्व करवा चौथ नजदीक आता है वैसे वैसे लगभग 30 हजार की आबादी वाले इस कस्बे में सन्नाटा फैल जाता है। दरअसल, आज से करीब 300 वर्ष पहले नजदीक के ही गांव राम नगला का एक ब्राह्मण दम्पति यहां से गुजर रहा था। इस पति पत्नी के जोड़े को विदाई में एक भैंसा मिला था। ये जोड़ा जैसे ही सुरीर कस्बे के नजदीक पहुंचा तभी इस गांव के लोगों ने उसे ये कहते हुए रोक लिया कि ये भैंसा तो उनका है। लेकिन जब पंडित ने कहा कि ये उसकी ससुराल से विदाई में मिला है और वो इसे नहीं लौटाएगा तो फिर गांव वालों ने मिलकर उस पंडित की हत्या कर दी। अपने पति की हत्या देख उसकी पत्नी ने इस पूरे सुरीर कस्बे के लोगों को श्राप दिया कि जिस तरह से वो विधवा हुई है इसी तरह से इस गांव की हर बहू-बेटिया विधवा होगी। इसके बाद वो महिला सती हो गई।
पति की मृत्यु से कुपित पत्नी हमला करने वालों को श्राप देते हुए सती हो गई। इस घटना के बाद मोहल्ले में जवान लोगों की मौत का सिलसिला शुरू हो गया। इसी श्राप की वजह से आज भी यहां की सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत नहीं रखती हैं। यहां की महिलाएं सती के श्राप से इतनी डरी हुई है कि वो इस पर्व के नजदीक आते ही एक अनजान डर से सहमी रहती है और जब तक करवा चौथ का पर्व न निकल जाये तब तक वो डरी हुई ही रहती हैं।
खाना भी खाने से कतराती है सुहागिन महिलाएं
सुरीर कस्बे के इस गांव में आई नई नवेली दुल्हन इस श्राप से अनजान होकर अपने पहले करवा चौथ की तैयारियां करती है लेकिन जब उसे सास या घर की अन्य बुजुर्ग महिलाओं द्वारा यह कहानी बताई जाती है तो वह इस कदर डर जाती है कि इस दिन खाना भी ठीक से नहीं खा पाती।
एक हफ्ते पहले से श्रृंगार करना छोड़ देती हैं महिलाएं
इस गांव में नई नवेली दुल्हन करवा चौथ पर श्राप के डर से 15 दिन पहले श्रृंगार करना छोड़ देती है और पति से मिलना तो दूर, उनसे बात तक नहीं करती है। वहीं, इस पूरे प्रकरण में करवा चौथ वाले दिन पति भी अपनी पत्नी का पूरा सहयोग और साथ देते हैं।
(रिपोर्ट- मोहन श्याम शर्मा)
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