Kumbh Mela 2025: महाकुंभ में नागा साधुओं की एंट्री हो चुकी है। नागा जब 14 जनवरी को पहला अमृत स्नान करेंगे, उसके बाद महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी। महाकुंभ में नागा ही सबसे बड़ी पहेली हैं। इनकी साधना को लेकर बहुत से रहस्य हैं। इनके शाप को लेकर बहुत भय भी बना रहता है। इनके खानपान, सिद्धियों और तमाम बातों को लेकर खूब बातें होती हैं।
रुद्राक्ष बाबा चर्चा में
इस महाकुंभ में महंत वशिष्ठ गिरी महाराज चर्चा में हैं। वह जूना अखाड़े से हैं। उन्हें रुद्राक्ष बाबा के नाम से जाना जाता है। उन्होंने बताया कि ये श्रंगार और तपस्या मैं अभी से नहीं कर रहा बल्कि साल 2010 से करता आ रहा हूं। हमें श्रंगार धारण किए हुए तीन कुंभ हो गए हैं। रुद्राक्ष बाबा ने कहा कि ये रुद्राक्ष बहुत अहम है। पंचमुखी रुद्राक्ष शरीर के पंच तत्वों की ओर इशारा करते हैं। इसी तरह के कई रुद्राक्ष हैं। ये रुद्राक्ष शिव का श्रंगार रहे हैं।
रुद्राक्ष बाबा अपने कंधे तक सवा लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं। इनका कहना है कि ये भगवान शिव के आराधक हैं और भगवान शिव के आंसुओं को अपने शरीर पर धारण किए हुए हैं। इससे काफी ज्यादा शांति मिलती है। इसके अलावा रुद्राक्ष बाबा का यह भी कहना है कि पहले जितने भी कुंभ में वह शामिल हुए हैं, उन कुंभ से बहुत ज्यादा अच्छी व्यवस्था इस बार के महाकुंभ में है।
बड़ी संख्या में विदेशी पहुंचे संगम नगरी
महाकुंभ का क्रेज विदेशियों में भी दिखाई दे रहा है और वह बड़ी संख्या में यहां पर पहुंच रहे हैं। स्पेन के एक शख्स ने बताया कि वह महाकुंभ की शुरुआत का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। 14 जनवरी को जब पहला अमृत स्नान होगा तो वह देखने लायक होगा। यहां का माहौल दिव्य लग रहा है और आध्यात्मिकता नजर आ रही है। इसके अलावा भी कई विदेशी महाकुंभ में पहुंचे हैं। अर्जेंटीना से महाकुंभ में 90 विदेशी पुरुष और महिला महाकुंभ में पहुंचे हैं जो 14 जनवरी को संगम में डुबकी लगाएंगे
गौरतलब है कि हिंदू धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। प्रयागराज में संगम किनारे महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है। इस मेले में शामिल होने के लिए देश-दुनिया से लोग आ रहे हैं। महाकुंभ मेले में कई महान साधु-संतों का जमावड़ा लगता है, जिसे देखने के लिए लोगों के अंदर एक अलग ही उत्सुकता रहती है। महाकुंभ का आयोजन 12 साल बाद होता है।