Mahakumbh: नागाओं के बारे में ये बातें कर देंगी हैरान, बहुत कठिन होता है जीवन
Mahakumbh 2025: नागाओं का जीवन रहस्यों से भरा होता है। एक आम आदमी इस जीवन को जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता क्योंकि ये काफी कठिन होता है।
Written By : Rituraj Tripathi
Published : Jan 14, 2025 12:24 IST, Updated : Jan 14, 2025, 12:24:07 IST Kumbh Mela 2025: महाकुंभ की धूमधाम से शुरुआत हो चुकी है। इस मौके पर सबसे ज्यादा किसी का जिक्र हो रहा है तो वो नागा हैं। हर कोई नागाओं के रहस्य के बारे में जानना चाहता हैं। लेकिन वास्तव में नागाओं का जीवन बहुत कठिन होता है।
एक आम आदमी नागा जीवन जीने के बारे में सोच भी नहीं सकता है।
कैसे बनते हैं नागा संन्यासी?
- पहला चरण: घर से भिक्षा
- दूसरा चरण: माता-पिता से भिक्षा
- तीसरा चरण: 14 पीढ़ियों का पिंडदान
- चौथा चरण: माता-पिता का पिंडदान
- पांचवां चरण: खुद का पिंडदान
- पिंडदान के बाद: पहली डुबकी
- सांसारिक दुनिया: रिश्ते खत्म
नागा संन्यासियों की शिव साधना कैसे होती है?
- गुरु की देखरेख में साधना
- हिमालय की कंदराओं में तपस्या
- बर्फीली गुफाओं में साधना
- बर्फीले पानी में स्नान
- खाने में कंदमूल फल का सेवन
- नदी का पानी पीना
- वस्त्र की जगह भभूत
- घने जंगलों में तप
- गुफा बनाकर तप
- मठों में साधना
नागा का मतलब क्या?
संस्कृत में नागा का मतलब पहाड़ और पहाड़ों में एकांतवास होता है। कच्छी भाषा में अर्थ लड़ाकू योद्धा होता है। यानी नागा कुशल योद्धा होते हैं। संन्यास की नागा परंपरा की शुरुआत पौराणिक शास्त्रों के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने की थी। शुरुआत में नागा साधुओं को 4 मठों में दीक्षा दी जाती थी। अब 13 अखाड़ों में नागा साधुओं को दीक्षा दी जाती है। देश और धर्म की रक्षा के लिए नागा अस्त्र-शस्त्र उठाते हैं।
कितने तरह के नागा साधु?
- दिगंबर नागा साधु- लंगोट धारण करते हैं
- श्री दिगंबर नागा साधु- निर्वस्त्र रहते हैं
नागा साधुओं ने कब-कब सनातन की रक्षा की?
- सन 1664: औरंगजेब का बाबा विश्वनाथ मंदिर पर हमला
- सन 1664: नागा साधुओं ने औरंगजेब की सेना को खदेड़ा
- सन 1669: औरंगजेब ने काशी पर दूसरी बार हमला किया
- सन 1669: 40 हजार नागा साधुओं ने दिया अपना बलिदान
- सन 1757: अहमद शाह अब्दाली की सेना का मथुरा पर हमला
- सन 1757: 4 हजार नागा साधुओं ने अब्दाली की सेना को हराया
13 अखाड़े कौन-कौन से हैं?
- महानिर्वाणी
- अटल
- निरंजनी
- आनन्द
- जूना
- आवाहन
- पंचाग्नि
- निर्मोही
- दिगम्बर
- निर्वाणी
- नया उदासीन
- बड़ा उदासीन
- निर्मल