महाकुंभ नगर: सोशल मीडिया पर महाकुंभ मेले की भव्यता देखकर चार भाई-बहनों के मन में चाय-नाश्ते की दुकान लगाने का ऐसा ख्याल आया कि वे अपने मां-बाप को कुछ बताए बगैर गोरखपुर से भागकर प्रयागराज आ गए और महाकुंभ मेले में चाय नाश्ते की दुकान खोल ली। नाम न छापने की शर्त पर 22-वर्षीय एक युवती ने बताया, “पिता पुलिस में और मां गृहिणी हैं। मेरे पापा अकेले ही काम करते हैं और हम चार भाई-बहनों की पढ़ाई-लिखाई सहित सभी सारे खर्च उठाते हैं। उनके अकेले काम करने से तो कुछ होगा नहीं। हमसे उनकी यह हालत देखी नहीं जाती।”
दुकान लगाने के खिलाफ थे पिता
उन्होंने बताया, “एक दिन कुंभ का एक वीडियो देखा, जिसमें लोग अच्छा मुनाफा कमा रहे थे। तभी मेरी छोटी बहन ने मन बनाया कि हम भाई-बहन भी कुंभ में दुकान लगाएं। पापा इसके खिलाफ थे। वह ड्यूटी पर थे, तभी हम भागकर यहां चले आए, एक ठेला खरीदा और काली सड़क पर यह दुकान लगाई।” युवती ने बताया कि मेले में उसकी छोटी बहन (20 वर्ष) और दो छोटे भाई (15 और 17 साल) यह दुकान संभाल रहे हैं।
दुकान के लिए सहेली से उधार लिए 10 हजार रुपये
उन्होंने बताया, ‘‘दुकान के लिए छोटी बहन ने अपनी सहेली से 10,000 रुपये उधार लिये और मैंने कान की बाली सोनार के पास गिरवी रखकर 5,000 रुपये जुटाये। इस जमापूंजी से हमने यह दुकान खोली है।’’ यह पूछने पर भाई-बहन रात में कहां रहते हैं, तो छोटी बहन ने बताया, ‘‘हमने पास में एक कमरा किराये पर लिया है, लेकिन मेले में काम से फुर्सत ही नहीं है, इसलिए हम रात में भी यहीं रहते हैं।’’
ठेले के बाद खोलेंगे रेस्तरां
अकादमिक पृष्ठभूमि के बारे में युवती ने बताया कि वह अध्यापक बनने की पढ़ाई कर रही है और छोटी बहन स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही है। दोनों भाई भी पढ़ाई करते हैं। उन्होंने बताया, ‘‘इस ठेले के बाद अब हमें रेस्तरां खोलना है और उसके बाद हमारा सपना एक छोटा सा होटल खोलने का है। इसके लिए यह दुकान, हमारी पहली सीढ़ी है।” यह पूछे जाने पर कि दुकान लगाने पर मेला प्रशासन के लोग परेशान तो नहीं करते, उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, मेला प्रशासन के लोग बहुत मदद करते हैं, लेकिन उनका केवल इतना ही कहना है कि साफ सफाई का ध्यान रखो। इसलिए हम लोग भी साफ सफाई का (काफी) ध्यान रखते हैं।’’ (भाषा इनपुट्स के साथ)
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