"2 हफ्ते में मुझे निपटा देंगे...", माफिया अतीक के भाई अशरफ का बड़ा आरोप, कहा- CM योगी समझते हैं मेरा दर्द
अशरफ को उमेश पाल अपहरण केस में दोषमुक्त करार दिया गया है। वह जेल जाते समय अपने एनकाउंटर को लेकर काफी डरा हुआ दिखा।
17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट का फैसला आने के बाद माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ अहमद को बरेली जेल वापस भेज दिया गया है। अशरफ रात के 1:18 बजे बरेली जेल पहुंचा। इस दौरान अशरफ ने फिर आरोप लगाए कि उसके खिलाफ हत्या की साजिश रची जा रही है। उसको अधिकारी ने धमकी दी है।
'जेल से बाहर निकालेंगे और निपटा देंगे'
अशरफ का कहना है कि उसे किसी बहाने से जेल से बाहर निकालेंगे और निपटा देंगे, अगर उसके साथ कुछ हुआ तो एक बंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद कोर्ट के जज और मुख्यमंत्री को भेज दिया जाएगा। बता दें कि अशरफ को उमेश पाल अपहरण केस में दोषमुक्त करार दिया गया है। वह जेल जाते समय अपने एनकाउंटर को लेकर काफी डरा हुआ दिखा। अशरफ का कहना है कि वो बहुत साल से जेल में है, ऐसे में वो किसी की हत्या कैसे कर सकता है।
'मुख्यमंत्री के ऊपर भी झूठे मुकदमे लग चुके हैं'
इस दौरान अशरफ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुशामद करने की भी कोशिश की। उसने कहा, "माननीय मुख्यमंत्री के ऊपर भी झूठे मुकदमे लग चुके हैं, तो वह मेरा और मेरे परिवार का दर्द समझते होंगे। मैं कोई माफिया नहीं, क्या आपको मैं माफिया दिख रहा हूं। मेरा भाई विधायक और सांसद रह चुका है, मैं भी विधायक रह चुका हूं। मेरा भाई कई साल से जेल में है, मैं 3 साल से जेल में हूं। शाइस्ता प्रवीण मेयर का चुनाव लड़ने वाली थीं, इसलिए उनको फंसाया है।" अशरफ ने कहा कि मुझे दो हफ्ते में निपटाने की प्लानिंग है। उसने कहा कि अतीक से कोर्ट में मुलाकात हुई, बात भी हुई, आज कुछ खाने को भी नहीं मिला, मेरा रोजा था, केवल पानी पिया है।
सबूतों के अभाव में दोषमुक्त हुआ अशरफ
गौरतलब है कि प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट में मंगलवार को उमेश पाल अपहरण केस की सुनवाई हुई। इस दौरान साबरमती जेल से अतीक अहमद को और बरेली जेल से अशरफ को लाकर कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने मामले पर फैसला सुनाते हुए अतीक अहमद को मामले में दोषी ठहराते हुए उसे उम्रकैद और एक लाख के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं, अशरफ को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया है। मामले की सुनवाई पूरी हो जाने के बाद दोनों भाइयों को उनकी जेलों में वापस भेज दिया गया।
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