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Hindi News उत्तर प्रदेश मस्जिद में बिना इजाजत लाउडस्पीकर का हो रहा था इस्तेमाल, मौलवी पर मुकदमा

मस्जिद में बिना इजाजत लाउडस्पीकर का हो रहा था इस्तेमाल, मौलवी पर मुकदमा

मौलवी अशफाक को 25 फरवरी को ही सुप्रीम कोर्ट और शासन के आदेशों से अवगत करा दिया गया था, जिनके मुताबिक सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना लाउडस्पीकर या पब्लिक एड्रेस सिस्टम का इ्स्तेमाल नहीं किया जा सकता।

Loudspeaker- India TV Hindi Image Source : FILE लाउडस्पीकर

पीलीभीत: यूपी में बिना इजाजत लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का एक ताजा मामला सामने आया है।  पीलीभीत जिले के जहानाबाद थाना क्षेत्र में एक मस्जिद में प्रशासन की अनुमति के बिना लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने के आरोप में एक मौलवी पर रविवार को मुकदमा दर्ज किया गया। जहानाबाद के थानाध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि थाने में तैनात उपनिरीक्षक वरुण की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि शनिवार दोपहर काजीटोला स्थित एक मस्जिद में नमाज के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा रहा था। 

अजान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल 

मिश्रा ने कहा कि मौलवी अशफाक को 25 फरवरी को ही सुप्रीम कोर्ट और शासन के आदेशों से अवगत करा दिया गया था, जिनके मुताबिक सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना लाउडस्पीकर या पब्लिक एड्रेस सिस्टम का इ्स्तेमाल नहीं किया जा सकता। मिश्रा ने बताया कि अशफाक 28 फरवरी की शाम को भी नमाज एवं अजान के दौरान लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर रहे थे और मांगने पर वह कोई अनुमति पत्र नहीं दिखा सके थे। 

मौलवी के खिलाफ बीएनस की धाराओं में मुकदमा

उन्होंने कहा कि नियम के उल्लंघन के आरोप में मौलवी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 223 (सरकारी आदेशों की अवहेलना), 270 (सार्वजनिक उपद्रव) और 293 (किसी वैध प्राधिकरण की ओर से जारी निषेधाज्ञा के बावजूद सार्वजनिक उपद्रव जारी रखना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। मिश्रा के अनुसार, मौजूदा समय में माध्यमिक शिक्षा परिषद और अन्य बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि लाउडस्पीकर की तेज आवाज से परीक्षार्थियों और गंभीर रूप से बीमार लोगों को परेशानी होती है। 

हाईकोर्ट ने जनवरी में खारिज की थी याचिका

बता दें कि इससे पहले जनवरी महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मस्जिद पर लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने का राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी था। पीलीभीत जिले के मुख्तियार अहमद द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डी.रमेश की पीठ ने कहा था, “धार्मिक स्थल प्रार्थना के लिए होते हैं और लाउडस्पीकर के उपयोग का अधिकार के तौर पर दावा नहीं किया जा सकता विशेषकर तब जब लाउडस्पीकर अक्सर वहां रहने वालों के लिए बाधा खड़ी करते हैं।” 

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने इस रिट याचिका की पोषणीयता पर यह कहते हुए आपत्ति व्यक्त की कि याचिकाकर्ता ना तो मस्जिद का मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) है और ना ही वह उस मस्जिद से जुड़ा है। राज्य सरकार के वकील की दलील में दम पाते हुए अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह रिट याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। (भाषा)