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Hindi News उत्तर प्रदेश लिव-इन रिलेशनशिप से सुरक्षा और स्थिरता नहीं मिल सकती... इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी

लिव-इन रिलेशनशिप से सुरक्षा और स्थिरता नहीं मिल सकती... इलाहाबाद हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी

दुष्कर्म के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर अहम टिप्पणी की है। इस मामले में आरोपी लिव-इन पार्टनर अदनान की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा है कि लिव-इन रिलेशनशिप सामाजिक सुरक्षा और स्थिरता नहीं दिला सकती।

allahabad High Court- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO इलाहाबाद हाई कोर्ट

लिव-इन रिलेशनशिप (सह-जीवन संबंध) के एक मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि विवाह रूपी संस्था जो सुरक्षा, सामाजिक स्वीकार्यता, प्रगति और स्थिरता उपलब्ध करा सकती है, वह लिव-इन रिलेशनशिप द्वारा कभी उपलब्ध नहीं कराया जा सकता। दरअसल, दुष्कर्म के आरोपी लिव-इन पार्टनर अदनान की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि ज्यादातर मामलों में युगल के बीच संबंध टूट जाते हैं जिसके बाद महिला साथी के लिए समाज का सामना करना कठिन हो जाता है। 

"लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला..."
हाई कोर्ट ने कहा कि अदालतों में ऐसे मामलों की भरमार है जहां लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला साथी समाज के व्यवहार से परेशान होकर खुदकुशी कर लेती है। अदालत ने कहा कि इस देश में विवाह रूपी संस्था के अप्रचलित होने के बाद ही सह-जीवन संबंध को सामान्य माना जाएगा जैसा कि विकसित देशों में है। याचिकाकर्ता अदनान के वकील ने दलील दी कि पीड़िता ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में स्वीकार किया है कि वह याचिकाकर्ता के साथ एक साल से लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी और अपनी इच्छा से शारीरिक संबंध बनाया और वह गर्भवती हो गई। 

"शादी करने से इनकार करने पर लड़की ने रेप के आरोप लगाए"
उन्होंने कहा कि जब याचिकाकर्ता ने लड़की के साथ शादी करने से इनकार कर दिया तो उसने याचिकाकर्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई और आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता और उसके दो साथियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। मेडिकल जांच में लड़की की 19 साल आयु पाई गई, इसलिए वह बालिग है। लड़की के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि कक्षा आठ की पढ़ाई पूरी कर स्कूल छोड़ते समय जारी प्रमाण पत्र के मुताबिक, पीड़िता की आयु 16 साल और आठ महीने है। उन्होंने कहा कि इसलिए याचिकाकर्ता को पीड़िता के साथ विवाह करने के लिए निर्देश दिया जा सकता है क्योंकि उसने पीड़िता का जीवन बर्बाद किया।

(इनपुट- PTI)

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