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Hindi News उत्तर प्रदेश विहिप के कार्यक्रम में शामिल होने वाले हाई कोर्ट के जज की बेंच बदली गई, इन जजेज का क्षेत्राधिकार भी बदला

विहिप के कार्यक्रम में शामिल होने वाले हाई कोर्ट के जज की बेंच बदली गई, इन जजेज का क्षेत्राधिकार भी बदला

इलाहाबाद हाई कोर्ट में कई जजों की बेंच बदल दी गई है। जिन जजों का क्षेत्राधिकार बदला गया है वे 16 दिसंबर से नए रोस्टर के हिसाब से सुनवाई करेंगे।

इलाहाबाद हाई कोर्ट - India TV Hindi Image Source : ANI इलाहाबाद हाई कोर्ट

प्रयागराज: विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद सुर्खियों में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव की बेंच बदल दी गई है। जस्टिस शेखर यादव अब साल 2010 तक की फर्स्ट अपील सुनेंगे। इससे पहले वह क्रिमिनल मामलों को सुन रहे थे। जस्टिस शेखर यादव के साथ ही कई अन्य न्यायधीशों का क्षेत्राधिकार भी बदला गया है। 

इन जजों की भी बेंच बदली गई

ये बदलाव हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के आदेश से हुआ है। सप्लीमेंट्री रोस्टर के हिसाब से जिन जजेज का क्षेत्राधिकार बदला गया है वे 16 दिसंबर से नए रोस्टर के हिसाब से सुनवाई करेंगे। जस्टिस समित गोपाल, जस्टिस क्षितिज शैलेंद्र और जस्टिस संजय कुमार सिंह की बेंच भी बदली गई है। बताया जा रह है कि रोस्टर में यह बदलाव सामान्य प्रक्रिया है। 

8 दिसंबर को विहिप के कार्यक्रम में दिया था ये बयान

बता दें कि न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। आरोप है कि विहिप के कार्यक्रम में जस्टिस यादव ने कहा था कि भारत बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा के मुताबिक काम करेगा। आरोप है कि जस्टिस शेखर ने यह भी कहा था कि देश में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू हो जाएगी। जज के इस बयान की विपक्षी दलों ने निंदा की थी। 
 

महाभियोग का नोटिस देने की तैयारी में विपक्षी सांसद

जानकारी के अनुसार, विवादास्पद टिप्पणी के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव को हटाने के लिए इंडिया ब्लॉक के सांसद एक प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहे हैं। विपक्ष के कई सांसद जस्टिस शेखर के खिलाफ महाभियोग का नोटिस दे सकते हैं। श्रीनगर से नेशनल कांफ्रेंस के सांसद आगा सईद रुहुल्लाह मेहदी ने कहा है कि वे शेखर यादव के खिलाफ महाभियोग का नोटिस देंगे। उन्होंने दावा किया कि सपा, कांग्रेस, डीएमक और टीएमसी के सांसदों ने नोटिस का समर्थन करने की बात कही है। 

संविधान के अनुसार, एक न्यायाधीश को हटाने के लिए संसद में महाभियोग पारित कराना होगा। इसके लिए कम से कम दो-तिहाई बहुमत जरूरी होता है। इसके बाद राष्ट्रपति के आदेश से ही जज को हटाया जा सकता है।