उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को फिर कहा कि ज्ञानवापी (मस्जिद) एक ढांचा मात्र नहीं, ज्ञान प्राप्ति का माध्यम और साक्षात भगवान विश्वनाथ का प्रतीक है। योगी गोरखनाथ मंदिर में ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महराज की 55वीं एवं ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी महराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञानयज्ञ के समापन पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने आदि शंकर की ज्ञान साधना के लिए उनकी काशी यात्रा के एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा, “काशी में स्थित ज्ञानवापी कूप मात्र एक ढांचा नहीं है, बल्कि वह ज्ञान प्राप्ति का माध्यम और साक्षात भगवान विश्वनाथ का प्रतीक है।”
काशी और ज्ञानवापी पर क्या बोले सीएम योगी आदित्यनाथ
उन्होंने कहा, ''काशी में ज्ञान साधना के लिए आए आदि शंकर को भगवान विश्वनाथ ने एक अछूत चंडाल के रूप में दर्शन दिया और अद्वैत व ब्रह्म के संबंध में ज्ञानवर्धन किया।” इस संबंध में एक प्रसंग का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ''केरल से निकले सन्यासी आदि शंकर को जब लगा कि वह अद्वैत ज्ञान में परिपक्व हो गए हैं तो वह ज्ञान अर्जन भगवान विश्वनाथ की पावन नगरी काशी पधारे। एक सुबह जब वह गंगा स्नान के लिए जा रहे थे तो भगवान विश्वनाथ अछूत माने जाने वाले चंडाल के रूप में उनके मार्ग में आ गए।'' योगी ने बताया, ''आदि शंकर ने जब कथित अछूत को मार्ग से हटने को कहा तो उन्हें जवाब मिला कि आप तो अद्वैत शिक्षा में पारंगत हैं। आप तो ब्रह्म सत्य है की बात करते हैं। यदि आपके भीतर का मेरा ब्रह्म अलग-अलग है तो आपका अद्वैत सत्य नहीं है। क्या आप मेरी चमड़ी देखकर अछूत मानते हैं। तब आदि शंकर को यह पता चला कि यह तो वही भगवान विश्वनाथ हैं जिनकी खोज में वह काशी आए हैं।''
"सनातन धर्म की ताकत सेवा में निहित है"
उन्होंने कहा, “भारत स्वाभाविक रूप से एक धार्मिक देश है, जिसकी आत्मा धर्म, विशेष रूप से सनातन धर्म में निहित है। सनातन धर्म की शिक्षाएं सामाजिक एकता और राष्ट्रीय एकीकरण की नींव का काम करती हैं।” इससे पहले दिन में आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन धर्म की ताकत "सेवा में निहित है, उत्पीड़न में नहीं" और इसमें निहित सभी कार्य स्वाभाविक रूप से लोक कल्याण से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद, आतंकवाद और अलगाववाद जैसे कई खतरे उभरे हैं, लेकिन वे अंततः भारत में विफल हो गए हैं। उन्होंने दावा किया कि जब दुनिया कोविड-19 से जूझ रही थी, तो पूजा-पाठ सहित भारतीय जीवनशैली ने लोगों को इससे मजबूती से निपटने में मदद की।
(इनपुट-भाषा)