A
Hindi News उत्तर प्रदेश आजमगढ़ में गैंगस्टर 35 साल से कर रहा था होमगार्ड की नौकरी, किसी को नहीं लगी भनक, जाने कैसे खुली पोल

आजमगढ़ में गैंगस्टर 35 साल से कर रहा था होमगार्ड की नौकरी, किसी को नहीं लगी भनक, जाने कैसे खुली पोल

गैंगस्टर नकदू पर 1987 में डकैती का मुकदमा दर्ज हुआ। फिर बाद में नकदू पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई की गई। इसकी हिस्ट्रीशीट भी खोली गई। जांच में सामने आया कि नकदू यादव कक्षा चार तक गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ा है।

गैंगस्टर नकदू- India TV Hindi Image Source : INDIA TV गैंगस्टर नकदू

आजमगढ़ः यूपी के आजमगढ़ में एक गैंगस्टर नकदू से नंदलाल बनकर होमगार्ड की नौकरी कर रहा था। भतीजे की शिकायत पर डीआईजी ने मामले की जांच कराई तो गैंगस्टर का फर्जीवाड़ा सामने आया। 35 साल से होमगार्ड की नौकरी करने वाला नकदू को अखिरकार निलंबित कर दिया गया है। जांच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि होने पर पुलिस ने रानी की सराय थाने में उसके खिलाफ मुकदमा भी पंजीकृत किया है।

मामले की जांच आरोपी नकदू के भतीजे की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण ने जांच कराई थी। आरोपी नकदू के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, डकैती के कई मामले दर्ज थे। वह सितंबर 1989 से लेकर 2024 तक जिले के रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी करता रहा लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी।

भतीजे नंदलाल ने डीआईजी से की थी शिकायत

जानकारी मुताबिक, आरोपी नकदू के भतीजे नंदलाल ने चाचा नकदू के खिलाफ तीन दिसंबर को तत्कालीन डीआईजी वैभव कृष्ण से शिकायत की थी। आरोप लगाया था कि चाचा 35 साल से फर्जी तरीके से होमगार्ड की नौकरी कर रहे हैं। इस पर डीआईजी ने जांच के आदेश दिए। जांच में सामने आया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा निवासी नकदू पर 1984 में हत्या और साक्ष्य छुपाने का मुकदमा दर्ज हुआ था। नकदू ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मुन्ना यादव की रंजिश में गोली मारकर हत्या कर दी थी। 

1989 में हासिल की होमगार्ड की नौकरी 

कक्षा आठ का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर वर्ष 1989 में होमगार्ड की नौकरी हासिल की। आरोपी नकदू ने नौकरी पाने के लिए अपनी पहचान भी बदल दी। 1990 के पहले तक आरोपी की पहचान नकदू यादव पुत्र लोकई यादव के रूप में थी। इसके बाद वह 1990 में आरोपी नकदू से नंदलाल बन गया। आरोपी नंदलाल यादव पर 1988 में गैंगस्टर की कार्रवाई कर हिस्ट्रीशीटर में शामिल कर लिया गया था। इसके बाद भी आरोपी ने सितंबर 1989 को होमगार्ड विभाग ज्वाइन कर लिया। मजे की बात तो ये है कि हिस्ट्रीशीटर होने के बाद भी तत्कालीन रानी की सराय थाने और लोकल इंटेलिजेंस की टीम के प्रभारियों ने आरोपी होमगार्ड के चरित्र प्रमाण पत्र पर सितंबर 1992 में हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।

आजमगढ़ के एसपी ने दी ये जानकारी

इस मामले में आजमगढ़ के एसपी हेमराज मीना में बताया कि रानी की सराय थाना क्षेत्र में एक फर्जीवाड़ा कर होमगार्ड की नौकरी करने का मामला सामने आया था। मामले की जांच हुई तो सही पाया गया। नकदू के खिलाफ रानी की सराय थाने में मुकदमे पंजीकृत है। उसके द्वारा कूट रचित दस्तावेज तैयार कर नाम में परिवर्तन किया गया था। पिछले 35 साल से वह मेहनगर थाने में नौकरी कर रहा था। उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी किस प्रकार से पुलिस को चकमा देकर नौकरी करता था इसकी भी विभागीय जांच कराई जा रही है कि वह अब तक पुलिस की पकड़ में क्यों नहीं आया था। एसपी ने बताया कि आरोपी इस समय जेल में बंद है।

रिपोर्ट- रवि प्रकाश, आजमगढ़