Exclusive: अतीक अहमद के काले कारनामों की एक-एक परत खुल रही है। माफिया से नेता बने अतीक अहमद ने उमेश पाल की हत्या के लिए बेहद फूलप्रूफ प्लानिंग रची थी। इस प्लान के तहत अतीक के बेटे असद को इस मर्डर को लीड करना था और खुद को पुलिस से बचाना भी था ताकि पुलिस को असद के बारे में कोई सुराग न मिले। प्लानिंग के तहत असद के चेहरे को ढंकने के लिए एक मंकी कैप मंगवाई गई थी लेकिन बाद में उसका इस्तेमाल नहीं हुआ। पुलिस को ये मंकी कैप भी मिली है।
हत्या के प्लान को नाम दिया गया था-आपरेशन जानू
अतीक और अशरफ ने मरने से पहले पुलिस को ये बताया था कि उनके कहने पर उमेश पाल की हत्या से ठीक एक दिन पहले शाइस्ता से सभी शूटर्स उसके चकिया वाले घर पर एक साथ मिले थे और वहीं पर शाइस्ता ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर सभी शूटर्स को दिया था। उस वक़्त असद भी साथ में था। टूटे हुए घर पर सभी को बुलाने का मकसद था कि सभी को ये याद दिलाना कि ये साम्रज्य उमेश पाल की वजह से कम हो गया है इसलिए शूटर्स काम करने को मना ना करें। यहीं पर उमेश पाल की हत्या के प्लान को आपरेशन जानू का नाम दिया गया था।
प्लानिंग के तहत उमेश पाल की हत्या से पहले असद ने अपना मोबाइल फोन और ए टी एम कार्ड लखनऊ के अपने खास गुर्गे और अपने बेहद करीबी आतिन जफर को दिए थे। ये तय हुआ था कि जब असद ,उमेश पाल की हत्या कर रहा होगा, उस वक्त आतिन जफर लखनऊ के किसी ए टी एम मशीन से असद के कार्ड से पुलिस को गुमराह करने के लिए पैसे निकालेगा।
आतिन ने प्लानिंग के तहत ठीक वैसा ही किया और उमेश पाल की जिस वक्त हत्या हुई, उस वक्त आतिन ने लखनऊ के एक ए टी एम से असद के कार्ड से पैसे निकाले। तफ्तीश में पुलिस को असद के ए टी एम से पैसे निकालते हुए अतिन को सी सी टी वी फोटो भी मिली है । इसके बाद अतिन जफर तेलंगाना भाग गया और वहां उसके एक टेलर चाचा ने आतिन को हैदराबाद में अपने साले के यहां रुकवाया । हालांकि पुलिस ने बाद में अतिन को हिरासत में ले लिया था।