ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर ने मरीज के पेट में छोड़ा कपड़ा! पीड़ित की बेटी ने सहमति के बगैर सर्जरी करने का लगाया आरोप
बरेली स्थित मेडिसिटी नर्सिंग होम में मरीज का पुनः ऑपरेशन किया गया, जहां उसके पेट से खून से सने हुए तीन कपड़े निकले हैं, जिसकी पुष्टि मेडिसिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने की है।
उत्तर प्रदेश के बदायूं के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में स्थित एक नर्सिंग होम के डॉक्टर द्वारा कथित तौर पर परिजनों की सहमति के बगैर एक मरीज का ऑपरेशन करने और उसके पेट में तीन कपड़े छोड़ देने का मामला सामने आया है और पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। पुलिस के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। नगर पुलिस अधीक्षक अमित किशोर श्रीवास्तव ने मंगलवार को बताया कि सिविल लाइंस क्षेत्र के मोहल्ला नेकपुर की रहने वाली कविता ने अशोका अस्पताल के डॉक्टर ए. के. वर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए तहरीर दी है, जिसकी जांच की जा रही है। श्रीवास्तव ने कहा, ''उच्चतम न्यायालय का साफ निर्देश है कि जिलाधिकारी द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) के निर्देशन में बनाए गए पैनल द्वारा दी गई रिपोर्ट के आधार पर ही इस प्रकार के मामलों में कार्यवाही की जाए।'' उन्होंने कहा कि पैनल की रिपोर्ट और जिलाधिकारी के निर्देश के पश्चात ही पुलिस प्राथमिकी दर्ज कर कार्यवाही सुनिश्चित करेगी।
पेट से खून से सने हुए तीन कपड़े निकले
पीड़ित मरीज की बेटी कविता ने पुलिस को दी तहरीर में कहा है कि उसके पिता वीरपाल सिंह (58) के पेट में अक्सर दर्द रहा करता था, जिसके इलाज के लिए डॉक्टर ए. के. वर्मा ने उनकी पित्त की थैली का ऑपरेशन होना बताया था। कविता ने तहरीर में यह भी आरोप लगाया है कि 16 मार्च को उसके पिता स्वयं बाइक चलाकर डॉक्टर को दिखाने पहुंचे तो डॉक्टर वर्मा ने उनको भर्ती कर कर लिया और बगैर परिजनों की सहमति के उनका ऑपरेशन कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पिता की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर ने उनको कुछ इंजेक्शन लगाए और वहां से ले जाने को कहा, जब परिजनों ने इसका विरोध किया तो डॉक्टर वर्मा ने खुद एंबुलेंस बुलाकर मरीज को बरेली रेफर कर दिया। इसमें कहा गया है कि बरेली स्थित मेडिसिटी नर्सिंग होम में मरीज का पुनः ऑपरेशन किया गया, जहां उसके पेट से खून से सने हुए तीन कपड़े निकले हैं, जिसकी पुष्टि मेडिसिटी अस्पताल के चिकित्सकों ने की है।
डॉक्टर ने आरोप को निराधार बताया
वहीं डॉ ए. के. वर्मा ने बताया कि नगर के मोहल्ला नेकपुर के रहने वाले वीरपाल सिंह की पित्त की थैली का ऑपरेशन उनके द्वारा दूरबीन विधि से किया जा रहा था, ऑपरेशन के दौरान पित्त की थैली निकालते समय ब्लीडिंग होने लगी जिससे बार-बार ब्लड आने पर ऑपरेशन करने में परेशानी होने के कारण पेट में चीरा लगाकर बड़ा ऑपरेशन करना पड़ा। ऐसे में मरीज की जान को खतरा था और इतना समय भी नहीं था कि ऑपरेशन थिएटर से बाहर जाकर परिजनों को इसके बारे में सूचना दी जाती। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया था किंतु ऑपरेशन के पश्चात वीरपाल सिंह की तबीयत बिगड़ने पर उनको बरेली रेफर कर दिया गया। उन्होंने बताया कि उनके नर्सिंग होम में आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध नहीं है इसलिए मरीज को तत्काल ही हायर सेंटर रेफर किया जाना आवश्यक था। परिजनों द्वारा लापरवाही के आरोप लगाकर पुलिस को तहरीर देने के मामले पर उन्होंने कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। डॉ ए. के. वर्मा ने अपने ऊपर लापरवाही और परिजनों को भी सूचित न किए जाने के आरोपों को निराधार बताया है।