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Hindi News उत्तर प्रदेश सीएम योगी के विभाग से डिप्टी सीएम ने आरक्षण को लेकर पूछा था सवाल, केशव मौर्या का अब लेटर वायरल

सीएम योगी के विभाग से डिप्टी सीएम ने आरक्षण को लेकर पूछा था सवाल, केशव मौर्या का अब लेटर वायरल

योगी सरकार में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को लेकर एक फिर बवाल मचने को है। दरअसल, केशव मौर्या की एक चिट्ठी वायरल है जिसमें उन्होंने सीएम योगी के विभाग से नौकरियों में रिजर्वेशन को लेकर सवाल किया था और साथ ही रिपोर्ट भी मांगी थी।

सीएम योगी के विभाग से...- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO सीएम योगी के विभाग से डिप्टी सीएम ने आरक्षण को लेकर पूछा था सवाल

यूपी में इन दिनों योगी सरकार को कई मुद्दों को लेकर अपने ही मंत्रियों और विधायकों से विरोध का सामना करना पड़ा। इसी दरमियान डिप्टी सीएम केशव मौर्या के भी बगावती सुर जनता के सामने आए। हाल ही में उनके एक ट्वीट ने दिल्ली बीजेपी तक को सोचने पर मजबूर कर दिया। अब डिप्टी सीएम केशव एक पत्र वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने सीएम योगी के विभाग से रिजर्वेशन को लेकर सवाल किया था।

केशव मौर्या ने विभाग से मांगा था ब्यौरा

बताया जा रहा कि यह पत्र पुराना है, लेकिन इस पत्र ने एक बार फिर विपक्ष को मुद्दा दे दिया है। विपक्ष आने वाले मॉनसून सत्र में सरकार को इस मुद्दे को लेकर घेरेगा। बता दें कि बीते साल 12 अगस्त 2023 को केशव मौर्या ने नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग को एक पत्र लिखा था। इस पत्र में डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने संविदा और आउटसोर्सिंग के लिए निकली भर्तियों में लेकर सवाल किए थे। केशव ने पूछा था कि संविदा और आउटसोर्सिंग की भर्तियों में कितना आरक्षण दिया गया?

भर्तियों की रिपोर्ट भी मांगी

साथ ही डिप्टी सीएम ने नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग से सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई भर्तियों की रिपोर्ट भी मांगी थी। इस चिट्ठी के माध्यम से संविदा और आउटसोर्सिंग में 2008 के आदेशों का पालन करने के लिए भी कहा था। जानकारी दे दें कि साल 2008 में मायावती सरकार ने संविदा भर्ती में एससी को 21 प्रतिशत और ओबीसी को 27 प्रतिशत रिजर्वेशन देने का प्रावधान बनाया था।

Image Source : INDIA TVडिप्टी सीएम का पत्र

सहयोगी दल ने भी सीएम को लिखा था पत्र

जानकारी दे दें कि केंद्रीय मंत्री और एनडीए के सहयोगी अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल ने भी चुनाव में हार के बाद इसी मुद्दे पर योगी को पत्र लिखा था। लोकसभा चुनाव में आरक्षण मुद्दे को लेकर ही बीजेपी को यूपी में बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। ऐसे में राजनीतिक पंडितों की चिंता है कि कहीं 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर ये सभी मुद्दे बीजेपी की आंतरिक कलह का कारण न बन जाएं।