उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में पीड़ित दलित परविवार को अब जाकर न्याय मिला है। जिले की एक विशेष अदालत ने करीब 14 साल पहले हुई दलित व्यक्ति की गैर इरादतन हत्या के मामले में फैसला सुनाया है। कोर्ट ने शुक्रवार को सात आरोपियों को आजीवन कारावास तथा 21-21 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
7 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा
इस मामले की अधिक जानकारी विशेष लोक अभियोजक केपी सिंह एवं हर्षवर्धन पाण्डेय ने दी है। इन्होंने बताया कि विशेष न्यायाधीश (SC/ST Act) नासिर अहमद ने मामले की सुनवाई की है। जज नासिर अहमद ने पत्रावली पर उपलब्ध सबूतों के अवलोकन और अभियोजन व बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलों को सुनकर सात आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
21-21 हजार रुपये का जुर्माना भी
कोर्ट ने प्रत्येक दोषसिद्ध आरोपी को 21-21 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया। साथ ही यह निर्देश दिया कि अर्थदंड की अदायगी न करने पर अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। कोर्ट का ये फैसला सुनकर आरोपी सकपका गए और चेहरे पर मायूसी छा गई।
साल 2010 में हुई थी हत्या
दोनों लोक अभियोजकों ने घटना के संदर्भ में बताया कि साल 2010 में जिले के मोतीगंज थाने में बनकटी सूर्यबली सिंह निवासी प्रेमचंद ने 9 अभियुक्तों के खिलाफ विजय कुमार (45) की गैर इरादतन हत्या का अभियोग दर्ज कराया था।
ये हैं आरोपियों के नाम
उन्होंने बताया कि पुलिस ने मामले की जांच के दौरान सभी 9 आरोपियों राजू, गोमती प्रसाद, संतराम, खुनखुन, गुरुदेव, नौबत, हवलदार, धर्म बहादुर व दूधनाथ के खिलाफ गैर इरादतन हत्या समेत अन्य संबंधित धाराओं के साथ ही अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप पत्र अदालत में प्रेषित किया। सत्र परीक्षण के दौरान राजू व गोमती प्रसाद की मौत हो गई और अदालत ने शुक्रवार को अन्य सात अभियुक्तों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।
भाषा के इनपुट के साथ