उत्तर प्रदेश: बीजेपी आगामी स्थानीय निकाय चुनाव में मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के रिश्तेदारों को टिकट नहीं देगी। इसका फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर पार्टी नेतृत्व की देर रात हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पार्टी के लिए ज्यादातर सीटों पर जीत सुनिश्चित करने की रणनीति पर भी चर्चा हुई।
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ मंत्री के मुताबिक, नेतृत्व ने मंत्रियों से फीडबैक भी लिया और उनके बहुमूल्य सुझाव भी लिए। बीजेपी नेतृत्व का स्पष्ट कहना था कि किसी भी सांसद, विधायक और मंत्री को अपने परिजनों की पैरवी नहीं करनी चाहिए।
कई नेताओं के लिए झटका
ऐसे में बीजेपी नेतृत्व का यह फैसला उत्तर प्रदेश के मंत्री नंद गोपाल नंदी के लिए एक झटका है, जिनकी पत्नी अभिलाषा गुप्ता प्रयागराज की निवर्तमान मेयर हैं। वह दूसरे कार्यकाल की तैयारी कर रही हैं। इसी तरह उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक लखनऊ में मेयर पद के लिए अपनी पत्नी नम्रता पाठक को मैदान में उतारना चाहते हैं।
अधिक से अधिक सीटों पर मिले जीत
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि जिलों के प्रभारी मंत्री भी अपने अधिकार क्षेत्र में पार्टी के संगठनात्मक कार्यों के लिए जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी सरकार और राज्य सरकार की ओर से किए गए कार्यों से मतदाता को अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि प्रभारी मंत्रियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बीजेपी स्थानीय निकाय चुनावों में अधिक से अधिक सीटें जीते।
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जीतने योग्य उम्मीदवारों को टिकट
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि जीतने योग्य उम्मीदवारों को टिकट सुनिश्चित करने की अतिरिक्त जिम्मेदारी प्रभारी मंत्रियों की होती है। प्रभारी यह भी सुनिश्चित करें कि जिन लोगों को टिकट नहीं मिला है, वे असंतुष्ट न हों और उन्हें पार्टी की जीत के लिए काम करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास किया जाए।
मंत्रियों को निर्देशित किया गया कि उनके पास न केवल उन जिलों की देखभाल करने की जिम्मेदारी है, जिनके वे प्रभारी हैं, बल्कि उनके मूल जिलों की भी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पार्टी 17 नगर निगमों सहित सभी 762 शहरी स्थानीय निकायों में जीत हासिल करे।