'राम के निमंत्रण को अस्वीकार करना दुर्भाग्यपूर्ण, इस फैसले पर दोबारा विचार करे पार्टी', इंडिया टीवी से बोले कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम
कांग्रेस पार्टी ने रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण ठुकरा दिया है। आलाकमान के इस फैसले के बाद अब कांग्रेस नेता ही हमला बोल रहे हैं। वह कह रहे हैं कि उन्हें अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।
लखनऊ: 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का निमंत्रण अस्वीकार करने के बाद कांग्रेस के नेता ही पार्टी पर हमला बोल रहे हैं। अब पार्टी आलाकमान के इस निमंत्रण के अस्वीकार करने पर प्रमोद कृष्णम ने हमला बोला है। उन्होंने कहा कि पार्टी को राम का निमंत्रण स्वीकार करना चाहिए था। यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
प्रमोद कृष्णम ने कहा कि पार्टी को इस निमंत्रण को स्वीकार करना चाहिए था। इस निमंत्रण के लिए उन्हें आभार देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि नेतृत्व अपने इस फैसले पर दोबारा विचार करे। यह करोड़ों हिंदुओं और जनमानस के भावना की बात है। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह रामलला के दर्शन करने जाएंगे। वहीं प्रदेश कांग्रेस नेताओं के दर्शन करने जाने की बात पर उन्होंने कहा कि अयोध्या में तो 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा हो रही है तो वह किसके दर्शन करने जा रहे हैं? यह तो उन नेताओं से ही पूछा जाना चाहिए।
कांग्रेस को ऐसे फैसलों से दूर रहना चाहिए- अर्जुन मोढ़वाडिया
कांग्रेस हाईकमान ने अयोध्या का न्योता ठुकरा तो दिया लेकिन इससे पार्टी के अंदर असंतोष की लहर फूट पड़ी है। पार्टी के नेता कहीं दबी ज़बान में तो कहीं खुलकर इस फैसले के विरोध में बयान देने लगे हैं। इनमें कांग्रेस समर्थक आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, गुजरात से कांग्रेस के सीनियर नेता अर्जुन मोढ़वाडिया हैं। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अंबरीश डेर हैं ये सब के सब हाईकमान के फैसले से नाराज़ हैं। कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले का गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान में पोरबंदर से विधायक अर्जुन मोढ़वाडिया ने खुलकर विरोध किया है। अर्जुन मोढ़वाडिया सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखते हैं- भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कांग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।
जयराम रमेश ने जारी किया पत्र
कांग्रेस की टॉप लीडरशिप ने अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ठुकरा दिया है। ये साफ कर दिया है कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, इनमें से कोई भी 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएगा। तीनों नेताओं ने ये फैसला लेने में दो हफ्ते से ज्यादा का वक्त लगा दिया।
पार्टी के महासचिव और कम्यूनिकेशन चीफ जयराम रमेश ने जो पत्र जारी किया है, उसके मुताबिक- ''पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में आयोजित होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का निमंत्रण मिला। भगवान राम की पूजा अर्चना करोड़ों भारतीय करते हैं। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय रहा है, मगर भाजपा और आरएसस ने वर्षों से अयोध्या में राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है। स्पष्ट है कि एक अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है। 2019 के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को स्वीकार करते हुए एवं लोगों की आस्था का सम्मान में मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी बीजेपी और आरएसस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते हैं।''