उत्तर प्रदेश: बहराइच मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुना। इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों, सरकार और पीड़ितों को मामले में अपने-अपने साक्ष्य और दस्तावेज पेश करने के आदेश दिए हैं। मामले में अगली सुनवाई 4 नवंबर को होगी। तब तक बुलडोजर कार्रवाई पर रोक जारी रहेगी।
इससे पहले 20 अक्टूबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए बुलडोजर कार्रवाई पर 15 दिन के लिए रोक लगा दी थी। पीडब्ल्यूडी (PWD) विभाग की ओर से जिन 23 घरों या दुकानों पर नोटिस चिपकाया गया था, उनको जवाब दाखिल करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है। बहराइच हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद सहित 23 लोगों के घरों और दुकानों पर पीडब्ल्यूडी ने नोटिस चस्पा कर दिया था। विभाग की ओर से नोटिस सरकारी रास्ते पर अतिक्रमण हटाने को लेकर लगाई गई थी।
आरोपियों की याचिका पर आज SC में सुनवाई
वहीं, बहराइच हिंसा के बाद प्रस्तावित बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ध्वस्तीकरण नोटिस के खिलाफ बहराइच सांप्रदायिक हिंसा मामले के तीन आरोपियों की याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए तत्काल सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया।
अधिवक्ता सी यू सिंह ने पीठ से कहा, "यह उन तीन व्यक्तियों की याचिका है जिन्हें ध्वस्तीकरण संबंधी नोटिस प्राप्त हुए हैं। राज्य सरकार ने नोटिस का जवाब देने के लिए केवल तीन दिन का समय दिया है।" सिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता संख्या-एक के पिता और भाइयों ने आत्मसमर्पण कर दिया है और नोटिस कथित तौर पर 17 अक्टूबर को जारी किए गए और 18 की शाम को चिपकाए गए। उन्होंने कहा, ‘‘हमने रविवार को सुनवाई का अनुरोध किया था लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।’’ उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने अदालत से कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले पर विचार किया है और नोटिस का जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
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