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Hindi News उत्तर प्रदेश एक्सीडेंट में दिव्यांग हुई लड़की को 19 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिलाया मुआवजा, मिलेगी इतनी धनराशि

एक्सीडेंट में दिव्यांग हुई लड़की को 19 साल बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिलाया मुआवजा, मिलेगी इतनी धनराशि

यह दुर्घटना 2005 में हुई थी जब चीनू दो साल की थी। वह अपने परिवार के साथ एक वैन में यात्रा कर रही थी, जिसे एक तेज़ रफ़्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में वह 75 प्रतिशत तक स्थायी रूप से दिव्यांग हो गई।

allahabad high court- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: मोटर वाहन दुर्घटना दावे का निपटान करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 17 साल बाद एक लड़की को देय मुआवजा 22 लाख रुपये तक बढ़ा दिया है। कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना के बाद 100 प्रतिशत दिव्यांग होने से लड़की के विवाह की संभावना को नुकसान पहुंचा है। जस्टिस विपिन चंद्रा ने 19 साल पुराने एक मामले की सुनवाई करते हुए मुआवजे की राशि 1,08,875 रुपये से बढ़ाकर 23,69,971 रुपये करने का आदेश दिया।

विवाह की संभावना को नुकसान पहुंचा

अदालत ने कहा कि दुर्घटना के समय नाबालिग रही कुमारी चीनू के विवाह की संभावना को बेहद नुकसान पहुंचा और वह निराश तथा हताश हो गई। विवाह की संभावना के नुकसान के लिए अदालत ने तीन लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। अदालत ने कहा, ‘‘दावा अधिकरण यह विचार करने में विफल रहा कि 100 प्रतिशत दिव्यांग होने के कारण दावाकर्ता के विवाह की संभावना को काफी नुकसान पहुंचा और मामले में उसे मुआवजा देने के लिए कुछ नहीं किया गया।’’ इसने कहा कि दावा अधिकरण ने कमाने की क्षमता 75 प्रतिशत घटने के बारे में विचार करने में भी गलती की क्योंकि दावाकर्ता द्वारा अधिकरण के समक्ष पेश साक्ष्य के मुताबिक, वह 100 प्रतिशत दिव्यांग हो गई है।

2005 में हुआ था एक्सीडेंट

बता दें कि यह दुर्घटना 2005 में हुई थी जब चीनू दो साल की थी। वह अपने परिवार के साथ एक वैन में यात्रा कर रही थी, जिसे एक तेज़ रफ़्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस दुर्घटना में वह 75 प्रतिशत तक स्थायी रूप से दिव्यांग हो गई। उसकी मां ने मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में 36,05,000 रुपये के मुआवजे का दावा किया था। अधिकरण ने अपने आठ अगस्त 2007 के आदेश में उस दुर्घटना के लिए दोनों वाहनों के चालकों को जिम्मेदार ठहराया था क्योंकि वैन के चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं था। कुल मुआवजे की राशि का आकलन 2,17,715 रुपये किया गया। हालांकि, 50 प्रतिशत कटौती के बाद ट्रक के बीमाकर्ता को 1,08,875 रुपये मुआजवा के भुगतान का आदेश दिया गया। इस आदेश को उच्च न्यायालय के समक्ष दावाकर्ता द्वारा चुनौती दी गई।

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