अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले आज अक्षत पूजन का कार्यक्रम रखा गया है। इसमें 100 क्विंटल अक्षत पूजे जाएंगे और फिर भगवान राम के इस प्रसाद को लेकर वीएचपी कार्यकर्ता देश के कोने-कोने में जाएंगे। बता दें कि 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख तय की गई है। उससे पहले देशभर में 62 करोड़ भक्तों तक भगवान राम का प्रसाद अक्षत के रुप में पहुंचाया जाना है। आज अयोध्या से विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता राम मंदिर में पूजे गए अक्षत लेकर रवाना होंगे।
ऐसे तैयार होगा राम लला का प्रसाद
बता दें कि अक्षत के साथ ही एक क्विंटल पिसी हुई हल्दी और देसी घी भी मंगवाया गया है। इसे विधि-विधान से चावल में मिलाया जाएगा। चावल को रंगने के बाद इसे पीतल के कलश में रखा जाएगा। फिर पूजा के दौरान भगवान राम के दरबार के सामने रखा जाएगा। तो वहीं आज से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण समिति की दो दिवसीय बैठक भी शुरू हो रही हैं। इस बैठक की अध्यक्षता नृपेंद्र मिश्रा करेंगे, जिसमें मंदिर निर्माण कार्य में लगे संगठन और राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अधिकारी मौजूद रहेगें।
62 करोड़ भक्तों तक पहुंचेगा प्रसाद
जानकारी है कि राम मंदिर में आज 100 क्विंटल अक्षत पूजे जाएंगे। इसके बाद 62 करोड़ भक्तों तक भगवान राम का प्रसाद पहुंचेगा। इसके लिए सभी राज्यों से VHP प्रतिनिधियों को अयोध्या बुलाया गया है। पूजन के बाद अक्षत को VHP कार्यकर्ताओं के जरिए ही वितरित किया जाएगा। इसके लिए राज्यों की क्षेत्रीय भाषाओं में 2 करोड़ से अधिक पर्चे भी छपवाए गए हैं। VHP कार्यकर्ता राम लला के अक्षत (चावल) के साथ देश के हर घर में ये पर्चा भेजेंगे। आज अक्षत पूजन के बाद प्रसाद को लेकर VHP कार्यकर्ता पूरे देश में रवाना होंगे।
इतना भव्य होगा रामलला का सिंहासन
बताया जा रहा है कि अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला संगमरमर के स्वर्ण जड़ित आठ फीट ऊंचे 'सिंहासन' पर विराजमान होंगे। राजस्थान के कारीगरों द्वारा तैयार किया जा रहा यह सिंहासन आगामी 15 दिसंबर तक अयोध्या पहुंच जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने बताया कि आठ फीट ऊंचे, तीन फीट लंबे और चार फीट चौड़े सिंहासन को राम मंदिर के गर्भगृह में रखा जाएगा। इस पर पांच साल पुरानी रामलला की मूर्ति रखी जाएगी। मिश्रा ने बताया कि भगवान राम के भक्तों ने भी बड़ी मात्रा में सोने और चांदी की वस्तुएं दान की हैं। उनका कहना था कि चूंकि ट्रस्ट के गठन से पहले और बाद में दान की गई ये सोने-चांदी की वस्तुएं, सिक्के और ईंटें पिघल जाएंगी, ऐसे में उन्हें सुरक्षित रखने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए उन्हें पिघलाकर सुरक्षित रखा जाएगा तथा यह कार्य एक प्रतिष्ठित संस्था के मार्गदर्शन में किया जायेगा।
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