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Hindi News उत्तर प्रदेश दृष्टिहीन लोगों की आंख बनेगा ये खास AI चश्मा, ऐसे करता है काम; यूपी के यंग साइंटिस्ट ने बनाया

दृष्टिहीन लोगों की आंख बनेगा ये खास AI चश्मा, ऐसे करता है काम; यूपी के यंग साइंटिस्ट ने बनाया

लखीमपुर खीरी के एक छोटे कस्बे गौरिया में जन्मे मुनीर खान ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए हाल ही में AI युक्त चश्मा इजाद किया है। इसे पहनने पर चेहरे की पहचान में मदद मिलेगी और लोग दवाओं और खाने पीने की वस्तुओं में भेद कर सकेंगे।

प्रतीकात्मक तस्वीर- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतिभावान लोगों को कोई सीमा आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती और यह साबित किया है यहां के 28 वर्षीय मुनीर खान ने जिन्होंने अपने तकनीकी कौशल और नवप्रवर्तन से लोगों का दिल जीत लिया है। लखीमपुर खीरी के एक छोटे कस्बे गौरिया में जन्मे मुनीर खान ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) युक्त चश्मा इजाद किया है जिसे एआई-विजन प्रो के नाम से जाना जाता है। खान का कहना है कि उनके सभी नवाचार ने आम लोगों की रोजाना की जिंदगी को आसान बनाया है। चाहे वह कोलंबिया यूनिवर्सिटी में विकसित हाइड्रोहोमी नाम का स्मार्ट वाटर बॉटल हो जो शरीर में पानी का स्तर पता लगाकर तत्काल पानी पीने का सुझाव देता है या मिट्टी की जांच वाला स्मार्ट डिवाइस जिससे किसानों को मिनटों में अपनी मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पहचान करने में मदद मिली।

नितिन गडकरी ने यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड से किया सम्मानित

उनके स्मार्ट वाटर बॉटल को कोलंबिया यूनिवर्सिटी द्वारा सर्वोत्तम प्रोजेक्ट का अवार्ड दिया गया। मिट्टी की जांच करने वाले उनके स्मार्ट डिवाइस के लिए जुलाई में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें “यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड” से सम्मानित किया। अब मुनीर ने दृष्टि बाधित लोगों की मदद के लिए एआई युक्त चश्मा विकसित किया है जिसे एआई-विजन प्रो का नाम दिया गया है। मुनीर ने अमेरिका से फोन पर बताया, “दृष्टि बाधित लोगों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस युक्त चश्मे 17 से 19 दिसंबर तक आईआईटी, मुंबई में आयोजित टेकफेस्ट में लोगों को दिए जाएंगे।” उन्होंने कहा, “इन चश्मों से लोगों को दिन प्रतिदिन के जीवन में सहूलियत मिलेगी।

AI चश्मे की खास बातें-

  • सेंसर्स, कैमरे, एनविडिया जेटसन प्रोसेसर्स, लिडार टेक्नोलॉजी और एआई मॉडल कंप्यूटेशन से एकीकृत विजनप्रो चश्मे आसपास के वातावरण की सटीक अनुभूति प्रदान करेंगे।
  • चश्मा पहनने पर एआई युक्त ग्लास से चेहरे की पहचान में मदद मिलेगी और लोग दवाओं और खाने पीने की वस्तुओं में भेद कर सकेंगे।
  • साथ ही वे चलते फिरते समय अड़चनों को पहचान सकेंगे। इसके अलावा, छपी हुई सामग्री को वे पढ़कर उसका अर्थ समझ सकेंगे।

ऐसे काम करेगा चश्मा-

  1. वैसे तो यह नार्मल चश्मे की तरह रहेगा, लेकिन लगातार तीन से चार घंटे लगाने के बाद दृष्टि और दिमाग को थोड़ा आराम देना होगा। इससे मशीन में डाटाबेस निर्माण का काम रुकेगा और वह ठंडी रहेगी।
  2. एक बार बैटरी चार्ज होने के बाद (जो बिजली से होगी), इसे लगातार सात से आठ घंटे तक चलाया जा सकेगा। बैटरी के काम के घंटे और ज्यादा बढ़ाने पर काम किया जा रहा। इसकी कार्यावधि 12 घंटे करेंगे।
  3. चश्मा 100 मीटर तक की वस्तुओं और व्यक्तियों को स्पष्ट देख (विजुएलाइज कर) सकेगा। साथ ही 30 मीटर तक छोटे से छोटे (मच्छर, मक्खी और धूल-धुआं तक) व्यवधान को पहचान लेगा व चेतावनी देगा।

मुनीर ने कहा कि आईआईटी बॉम्बे में एशिया के सबसे बड़े टेकफेस्ट के दौरान पहली बार लोगों के सामने इस अनूठे चश्मे का अनावरण करने की घोषणा करते हुए आयोजक रोमांचित हो गए।

1 साल की उम्र से सिर से उठ गया था पिता का साया

खीरी के गौरिया गांव में एक गरीब परिवार में जन्मे मुनीर जब महज एक साल के थे, तभी उनके सिर से पिता का साया उठ गया। उनके चार भाइयों और मां ने उनकी पढ़ाई के लिए बहुत मेहनत की। अपने गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल से अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद मुनीर ने एक प्राइवेट इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी की और अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने भीमताल स्थित बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लायड साइंसेज़ में दाखिला लिया। बाद में फेलोशिप मिलने पर उन्होंने फ्रांस और रूस में इंटर्नशिप की जिससे एआई और सेंसर टेक्नोलॉजी में उनकी रुचि पैदा हुई। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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