A
Hindi News तेलंगाना "महिला आरक्षण बिल एक ‘पोस्ट डेटेड चेक’, हमने साइन कर दिए, लेकिन नहीं पता कब भुना सकते," KCR की बेटी का बयान

"महिला आरक्षण बिल एक ‘पोस्ट डेटेड चेक’, हमने साइन कर दिए, लेकिन नहीं पता कब भुना सकते," KCR की बेटी का बयान

BRS की नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री की बेटी के. कविता ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक ‘पोस्ट डेटेड चेक’ की तरह है। हमने चेक पर दस्तखत कर दिये हैं। रकम भी लिख दी गयी है लेकिन हमें पता नहीं कि आप उसे कब भुना सकते हैं।

k Kavita- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO BRS की विधान परिषद सदस्य के. कविता

तेलंगाना के सत्तारूढ़ दल भारत राष्ट्र समिति (BRS) की विधान परिषद सदस्य के. कविता ने बयान दिया है कि संसद से पारित महिला आरक्षण विधेयक ‘पोस्ट डेटेड चेक’ की तरह है, जिस पर कोई स्पष्टता नहीं है कि यह कब लागू होने जा रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ससंद के दोनों सदनों से पारित इस विधेयक के मुताबिक महिलाओं को लोकसभा और विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण तत्काल दिया जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र की एनडीए सरकार पर इस विधेयक को लागू करने में समर्थ होने के बाद भी ऐसा नहीं करने का आरोप लगाया। 

"हमने चेक पर दस्तखत कर दिये, रकम भी लिख दी..."
के कविता ने हैदराबाद में एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘इसलिए यह इस देश की महिलाओं के लिए स्पष्ट संकेत है कि महिला आरक्षण विधेयक पारित कराना पोस्ट डेटेड चेक की तरह है। हमने चेक पर दस्तखत कर दिये हैं। रकम भी लिख दी गयी है लेकिन हमें पता नहीं कि आप उसे कब भुना सकते हैं। इस पूरी कवायद का कोई मकसद नहीं है। यह मुझे बस प्रतीकात्मक नजर आता है।’’ उन्होंने कहा कि फिर भी, इस विधेयक का पारित होना एक अच्छी बात है जिस पर खुशी मनाई जानी चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक में ओबीसी महिलाओं को आरक्षण देने की मांग के विषय में कविता ने कहा कि शुरुआत के तौर पर संसद और विधानसभाओं में ओबीसी को 33 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जानी चाहिए और जब ओबीसी आरक्षण दे दिया जाएगा तो यह ओबीसी महिलाओं में भी अपने आप ही परिलक्षित होगा। 

देशभर में कार्यशालाएं चलाना चाहती हैं कविता
वहीं इस दौरान जब कविता से पूछा गया कि क्या चुनाव में जीत की क्षमता को महिलाओं के प्रतिनिधित्व को रोकने के लिए एक कारक के तौर पर पेश किया जाता है तो उन्होंने ‘हां’ में जवाब दिया और कहा कि राजनीतिक तंत्र में महिलाओं और समाज के अन्य तबकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए और प्रयास की जरूरत है। ‘भारत जागृति’ नामक सांस्कृतिक संगठन की संस्थापक कविता ने कहा कि वह महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं के वास्ते तैयार करने के लिए देशभर में कार्यशालाएं आयोजित करने की इच्छुक हैं। 

बीआरएस में महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर दिया ये जवाब
वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपनी पार्टी बीआरएस को महिलाओं का उपयुक्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए राजी करेंगी तो उन्होंने ‘नहीं’ में इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक बार की सांसद और पहली बार की विधान परिषद सदस्य एवं बहुत कनिष्ठ नेता हूं। इसलिए कोई भी दलों को समझा-बुझा नहीं सकता है। क्या इंदिरा गांधी पार्टी में एक महत्वपूर्ण आवाज नहीं थीं? क्या सोनिया गांधी पार्टी में एकमात्र आवाज नहीं थीं? मुद्दा यहां यह है कि आपको समाज के कमजोर तबके को नीतिगत सुरक्षा देने की जरूरत है जो महिलाओं से शुरू होती है।’’ उन्होंने कहा कि ये अगड़ी वर्ग की महिलाएं हो सकती हैं, ओबीसी महिलाएं हो सकती हैं, दलित या आदिवासी महिलाएं हो सकती हैं लेकिन महिलाओं को नीतिगत सुरक्षा की जरूरत है। 

(इनपुट- PTI)

ये भी पढ़ें-

बिहार: RJD कार्यकर्ताओं में जमकर चले लात-घूंसे, गांधी सभागार को बना दिया कुरुक्षेत्र; VIDEO

छत्तीसगढ़ में बोले कांग्रेस अध्यक्ष खरगे- महिला आरक्षण विधेयक 2034 तक नहीं होगा लागू, ये भाजपा का जुमला