रूस की सेना में मर्जी के बगैर भर्ती किए जाने और महीनों तक यूक्रेन-रूस की युद्धग्रस्त सीमा पर फंसे रहने के बाद तेलंगाना का 22 वर्षीय युवक स्वदेश लौट आया है। उसने स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने के लिए शनिवार को केंद्र सरकार के प्रति आभार जताया। मोहम्मद सूफियान ने कहा, 'मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं घर लौट आया हूं। वहां जारी युद्ध के भयावह दृश्य अभी भी मेरे जहन में ताजा हैं।'
रूसी सेना में था सहायक कर्मचारी
सूफियान यूक्रेन के साथ युद्ध में रूसी सेना में सहायक कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा था। शुक्रवार रात वह सुरक्षित घर लौट आया। सूफियान तेलंगाना के नारायणपेट जिले का रहने वाला है। उसने वापसी में मदद के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तेलंगाना सरकार और मीडिया को धन्यवाद दिया।
बंकर बनाने का दिया गया काम
सूफियान ने पूरे घटनाक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि मुंबई स्थित एक रोजगार एजेंट ने उसे सुरक्षाकर्मी की नौकरी देने का वादा किया था, जिसके बाद वह दिसंबर 2023 में चेन्नई और दुबई के रास्ते रूस पहुंचा। सूफियान ने बताया कि उसे रूस-यूक्रेन सीमा पर ले जाया गया। वहां प्रशिक्षण दिया गया, इसके बाद उसे वाहनों में सामान भरने और बंकर बनाने जैसे काम सौंपे गए। सूफियान और उसके जैसे अन्य लोगों को एहसास हुआ कि उन्हें गुमराह किया गया है, लेकिन वे मुख्य एजेंट से संपर्क स्थापित नहीं कर सके।
युद्ध के कारण नहीं आती थी नींद
सूफियान ने बताया कि उसे अग्रिम मोर्चे के करीब तैनात किया जाया गया, जहां युद्ध के कारण उसे रात को नींद नहीं आती थी, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। सूफियान ने कहा कि बाद में जब उसने अपनी समस्या सुनाई, तो उसे अग्रिम मोर्चे से करीब 60 किलोमीटर दूर रूस के नियंत्रण वाले यूक्रेनी क्षेत्र में एक ‘ग्रीन जोन’ में भेज दिया गया। सूफियान ने कहा, 'हम आठ महीने तक जंगल में रहे। केंद्र सरकार ने मॉस्को से दिल्ली पहुंचने के लिए हवाई टिकट की व्यवस्था की।'
रूस दौरे पर पीएम मोदी ने उठाया था ये मुद्दा
सूफियान के परिवार ने इस साल जुलाई में उम्मीद जताई थी कि प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा के बाद उनका बेटा घर लौट आएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने रूस की यात्रा के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष रूसी सेना के साथ ‘सहायक कर्मी’ के तौर पर काम कर रहे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द वापस भेजने के मुद्दे को ‘बहुत मजबूती’ के साथ उठाया था, जिसके बाद पुतिन ने इस मांग पर सहमति जताई थी।
भाषा के इनपुट के साथ