ओवैसी का बड़ा आरोप- इलेक्टोरल बॉण्ड से 150 करोड़ मिलने के बाद NDA ने बदली दूरसंचार नीति
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने एक ट्वीट में दावा किया कि मोदी सरकार ने एक कंपनी से 150 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड लेने के बाद दूरसंचार नीति में बदलाव किया था।
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने एक कंपनी से 150 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड प्राप्त करने के बाद दूरसंचार नीति में बदलाव किया है। ओवैसी ने ‘X’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मोदी सरकार को एक कंपनी से 150 करोड़ रुपये के चुनावी बॉण्ड मिले और सरकार ने अपनी दूरसंचार नीति बदल दी। आप समझ सकते हैं कि नीति में बदलाव से किसे फायदा हुआ? यदि 2जी घोटाला था तो यह क्या है?’’
"अगर 2G स्कैम था तो फिर ये क्या है?"
ओवैसी ने एक न्यूज आर्टिकल की तस्वीर टैग की जिसमें दावा किया गया है कि भारती समूह ने यह राशि चंदे के रूप में दी है। ओवैसी ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि देश को यह तय करना होगा कि ऐसे प्रधानमंत्री को चुना जाये जिनका भारतीयों के साथ गहरा संबंध हो। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था और कहा था कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है। अपने सोशल मीडिया पोस्ट में ओवैसी ने लिखा, "बॉण्ड का मतलब बंधन भी होता है और बंदिश भी। देश को फ़ैसला करना होगा के या तो हम एक ऐसा प्रधान मंत्री चुनें जिसका मज़लूम भारतीयों से गहरा “बॉण्ड” हों, या फिर ऐसा जो सिर्फ़ अमीरों के पैसों की बंदिश में हों! मोदी सरकार को एक कंपनी से ₹150 करोड़ के इलेक्टोरल बॉण्ड मिले और सरकार ने अपनी टेलीकॉम नीति बदल दी। नीति के बदलने का फ़ैदा किसको हुआ ये आप समझ सकते हैं। अगर 2G स्कैम था तो फिर ये क्या है?"
CAA पर रोक लगाने का भी किया था अनुरोध
वहीं इससे कुछ दिन पहले AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट से नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों के क्रियान्वयन पर तब तक रोक लगाने का अनुरोध किया है जब तक शीर्ष अदालत नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निस्तारण नहीं कर देती। केंद्र ने संसद द्वारा इस अधिनियम को पारित करने के करीब चार साल बाद 11 मार्च को कानून के नियमों की अधिसूचना के साथ इसके कार्यान्वयन का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।
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