‘वोट के बदले नकदी’ मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट फरवरी में सुनवाई करेगा। अदालत ने शुक्रवार को रेड्डी की उस याचिका पर सुनवाई फरवरी तक के लिए टाल दी जिसमें हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। बता दें कि हाई कोर्ट ने 2015 के ‘वोट के बदले नकदी’ घोटाला मामले में मुकदमा चलाने में एसीबी अदालत के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाने संबंधी उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इस मामले में मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी एक आरोपी हैं।
सीएम रेड्डी ने हाई कोर्ट के आदेश को दी है चुनौती
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने मामले से जुड़े वकीलों में से एक के परिवार में किसी के निधन की सूचना मिलने के बाद रेड्डी द्वारा दायर याचिका सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी। रेड्डी ने हाई कोर्ट के 1 जून, 2021 के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें मामले में मुकदमा चलाने के लिए विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) अदालत के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाने संबंधी उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी।
क्या है 'नोट के बदले वोट' का मामला?
बता दें कि साल 2015 में रेवंत रेड्डी तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) में थे। रेड्डी को 31 मई, 2015 को विधान परिषद चुनावों में तेदेपा उम्मीदवार वेम नरेंद्र रेड्डी का समर्थन करने के लिए नामांकित विधायक एल्विस स्टीफेंसन को 50 लाख रुपये की रिश्वत कथित तौर पर देते समय एसीबी ने पकड़ा था। रेड्डी के अलावा एसीबी ने कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था। बाद में सभी को जमानत दे दी गई थी। जुलाई 2015 में, एसीबी ने रेड्डी और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप पत्र दायर किया था।
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