भारत में मोबाइल यूजर्स की संख्यां लगातार बढ़ता जा रही है। खास तौर पर पिछले कुछ साल में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्यां में तेजी से बढ़ोत्तरी देखी गई है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल हम ऑनलाइन पेमेंट से लेकर सोशल मीडिया के लिए करते हैं। स्मार्टफोन हैंग होने या फिर नेटवर्क न आने पर हम अक्सर अपने स्मार्टफोन को एयरप्लेन मोड में डाल देते हैं या फिर फोन को स्विच ऑफ करके दोबारा ऑन करते हैं, ताकि नेटवर्क कनेक्टिविटी रिस्टोर हो सके।
क्या आपने कभी सोचा है कि मोबाइल बनाने वाली कंपनियां फोन को शट डाउन करने के लिए पावर ऑफ करने के साथ-साथ रिस्टार्ट का ऑप्शन क्यों देते हैं? फोन को रिस्टार्ट करेंगे तो भी फोन पहले स्विच ऑफ होगा और फिर दोबारा अपने ऑप ऑन हो जाएगा। वहीं, फोन को मैनुअली स्विच ऑफ करने के बाद फोन दोबारा ऑन नहीं होता है। यूजर्स को पावर बटन प्रेस करके ऑन करना पड़ता है।
फोन को रिस्टार्ट करें या मैनुअली स्विच ऑफ
हम आपको फोन स्विच ऑफ करने और फोन को रिस्टार्ट करने के अंतर को समझाते हैं, ताकि आपको जब कभी जरूरत हो तो आप कंफ्यू न हों कि फोन को स्विच ऑफ करें या फिर रिस्टार्ट।
- फोन को समय-समय पर रिस्टार्ट करने पर ऐप द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मेमोरी लीक नहीं होती है। इसकी वजह से डिवाइस में सेंध लगाने का खतरा टल जाता है।
- वहीं, फोन को पावर ऑफ करने पर डिवाइस में मौजूद कैशे डेटा साफ हो जाता है। इसकी वजह से फोन को और बेहतर तरीके से ऑपरेट किया जा सकता है।
- जब केवल नेटवर्क संबंधी दिक्कत को ठीक करना हो तो फोन को रिस्टार्ट कर सकते हैं।
- वहीं, अगर आपको फोन स्लो होने या फिर हैंग होने दिखाई दे तो फोन को मैनुअली स्विच ऑफ करना बेहतर विकल्प होगा।
- फोन शट डाउन होने या फिर रिस्टार्ट करने से डिवाइस के बैकग्राउंड में चलने वाले ऐप्स बंद हो जाते हैं। इसकी वजह से फोन की बैटरी का हेल्थ बेहतर होता है।
- बैकग्राउंड ऐप्स फोन की बैटरी की खपत करते रहते हैं और यूजर्स को इसके बारे में भनक तक नहीं लगती है।
- फोन को समय-समय पर रिस्टार्ट करते रहना या फिर स्विच ऑफ करके ऑन करना एक बेहतर प्रैक्टिस है, जो फोन के सॉफ्टवेयर या फिर किसी ऐप में आने वाली गड़बड़ी को दूर सकता है। इसकी वजह से फोन अच्छे से चलता है।