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Hindi News टेक न्यूज़ प्लग सॉकेट में ये तीसरा छेद क्यों बनाया जाता है जब दो से ही हो जाता है काम, जान लें इसकी जरूरत

प्लग सॉकेट में ये तीसरा छेद क्यों बनाया जाता है जब दो से ही हो जाता है काम, जान लें इसकी जरूरत

हम लोग इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और मोबाइल को चार्ज करने के लिए दिन में कई बार प्लग सॉकेट को छूते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सॉकेट में ऊपर की तरफ तीसरा छेद क्यों बनाया जाता है। कई लोग सोचते हैं कि इसे थ्री पिन प्लग के लिए डिजाइन किया गया है लेकिन ऐसा नहीं है।

Tech Knowledge, socket, why Socket has 5 holes, Socket has 3 holes, multi plug, socket information- India TV Hindi Image Source : फाइल फोटो प्लग सॉकेट में बना ये तीसरा छेद बहुत ही ज्यादा जूरूरी होता है।

Tech Knowledge Today: बिजली हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है। बिना बिजली के आज के समय में एक भी दिन काटना बेहद मुश्किल है। बिजली से ही हम मोबाइल, फ्रिज, कूलर, टीवी, मिक्सर, फैन आदि कई उपकरण चलाते हैं। इन सभी डिवाइस को चलाने के लिए इन्हें बिजली के बोर्ड से कनेक्ट करते हैं। हम लोग दिन में कई बार बिजली के बोर्ड को टच करते हैं लेकिन क्या आपने कभी इसमें लगे प्लग सॉकेट को देखा गौर से देखा है। क्या आपने कभी सोचा है कि इसमें तीसरा छेद क्यों दिया जाता है जब हमारा काम दो से ही हो जाता है।

बिजली बोर्ड में हमें तीन तरह के प्लग देखने को मिलते हैं। कुछ में 2 छेद होते हैं तो कुछ प्लग में 3 छेद बनाए जाते हैं, जबकि कुछ प्लग में 5 छेद होते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि प्लग में ऊपर के साइड में बड़ा छेद क्यों दिया जाता है जब दो से ही काम चल जाता है। हालांकि हम सिर्फ दो छेद के जरिए ही किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को ऑन कर सकते हैं। 

आमतौर पर हमारे घरों में 3 छेद वाले सॉकेट का इस्तेमाल किया जाता है। किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को चलाने के लिए सिर्फ 2 छेद ही पर्याप्त होते हैं। लेकिन बावजूद इसके इन दोनो छेद से ऊपर बीच में एक मोटा छेद बनाया जाता है। कई लोगों को लग सकता है कि इस तीसरे छेद का कोई काम नहीं होता लेकिन ऐसा नहीं है। प्लग के तीसरे छेद का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है। अगर इसे न बनाया जाए तो इससे बहुत बड़ा नुकसान भी हो सकता है। 

यूं ही नहीं बनाया जाता ये तीसरा छेद

आपको बता दें कि तीसरा छेद सिर्फ थ्री पिन प्लग के लिए नहीं बनाया जाता। दरअसल प्लग के दोनों छोटे छेद में करंट और न्यूट्रल वायर का कनेक्शन होता है जबकि वहीं बड़े छेद में अर्थिंग वायर का कनेक्शन होता है। दरअसल प्लग में अर्थिंग वायर का कनेक्शन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिया जाता है। यदि कोई शार्ट शर्किट हो तो अर्थिंग वायर करंट को जमीन तक ले लाए और आपको किसी भी तरह का नुकसान न हो। 

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