How to Work OIS EIS: जब भी कोई नया स्मार्टफोन खरीदा जाता है तो सबसे ज्यादा सिर्फ एक सेक्शन पर फोकस होता है। वह स्मार्टफोन का कैमरा। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैमरे का इस्तेमाल हर कोई करता है। जब भी कोई पार्टी फंक्शन होता है तो लगभग सभी लोग अपने स्मार्टफोन से फोटोग्राफी और वीडियो ग्राफी करते हैं। ऐसे में फोन खरीदते समय कैमरे पर ही ध्यान जाता है। हालांकि ज्यादातर लोग सिर्फ इस बात पर फोकस करते हैं कि फोन में कितने मेगापिक्सल का कैमरा दिया गया है। लेकिन आपको बता दें कि कैमरे में मेगापिक्सल के साथ साथ OIS और EIS फीचर का होना भी जरूरी है।
अगर आप स्मार्टफोन से ज्यादा फोट क्लिक करते हैं या फिर वीडियोग्राफी करते हैं तो आपके लिए आपको एक ऐसा स्मार्टफोन लेना चाहिए जिसमें OIS या फिर EIS का फीचर दिया हो। इसकी मदद से आप अपनी फोटोग्राफी को कई गुना इंप्रूव कर सकते हैं। आइए आपको इन दोनों फीचर्स के बीच के अंतर के बारे में बताते हैं।
क्या है OIS-EIS
अच्छी फोटोग्राफी या फिर वीडियोग्राफी के लिए कैमरे में स्टेबलाइजेशन होना जरूरी है। बिना स्टेबलाइजेशन के एक परफेक्ट फोटो क्लिक करना बेहद मुश्किल काम है। स्मार्टफोन कैमरे में कंपनी दो तरह के स्टेबलाइजेशन का प्रयोग करती हैं। कंपनियां OIS यानी ऑप्टिकल इमेज इस्टेबलाइजेशन या फिर EIS का प्रयोग करती है।
दोनों में कौन सा है बेहतर
अगर OIS ओर EIS में कौन सा ज्यादा अच्छा है इस बारे में बात करें तो आपको बता दें कि OIS ज्यादा बेहतर है। क्योंकि OIS में आपको स्मार्टफोन की बॉडी में एक छोटा सा जायरोस्कोप दिया जाता है। आपका हाथ फोटोग्राफी या फिर वीडियोग्राफी के दौरान जैसे जैसे मूव करता है यह जायरोस्कोप भी उसी दशा में मूव करता है ऐसे में आपकी फोटो मूवमेंट के बावजूद स्टेबल आती है।
वहीं अगर हम EIS की बात करें तो इसमें कंपनी यूजर्स को सॉफ्टवेयर के माध्यम से स्टेबलाइजेशन प्रवाइड कराती है। यह OIS की तुलना में उतना बेहतर स्टेबलाइजेशन नहीं दे पाता। इसलिए अगर आप स्मार्टफोन या फिर कैमरा खरीद रहे हैं तो को आपको यह जरूर चेक करना चाहिए कि उसमें किस तरह का स्टेबलाइजेशन प्रयोग किया गया है।
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