1 दिसंबर से नेट बैंकिंग और आधार की OTP लेट आने की खबरें सामने आने पर TRAI ने अपना रूख साफ कर दिया है और कहा है कि यूजर्स को घबराने की जरूरत नहीं है। नए नियम लागू होने की वजह से यूजर्स के फोन पर मैसेज पहुंचने में किसी भी तरह की देरी नहीं होगी। दूरसंचार नियामक ने अपने X हैंडल से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से गलत है। ट्राई ने एक्सेस प्रोवाइडर्स के लिए मैसेज ट्रेसिबिलिटी को मेंडेटरी करने के लिए कहा है। इसकी वजह से मैसेज डिलीवरी में किसी तरह की देरी नहीं होगी।
दूरसंचार नियामक ने देश में बढ़ते साइबर अपराध को लगाम लगाने के लिए पिछले कुछ महीने में कई कदम उठाए हैं। फर्जी कॉल्स और मैसेज को रोकने के लिए नियामक ने 1 अक्टूबर से नए नियम लागू कर दिए हैं। साथ ही, टेलीकॉम कंपनियों को मैसेज ट्रेसिबिलिटी को मेनडेट करने के लिए 30 नवंबर तक का समय दिया है। पहले मैसेज ट्रेसिबिलिटी के लिए 31 अक्टूबर तक की डेडलाइन दी गई थी, लेकिन टेलीकॉम ऑपरेटर्स ने इसे लागू करने के लिए नियामक से समय मांगा था, जिसकी वजह से उन्हें 1 महीने का एक्सटेंशन मिला था।
क्या है मैसेज ट्रेसिबिलिटी?
दूरसंचार नियामक ने एक्सेस सर्विस प्रोवाइडर्स यानी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को बल्क में भेजे जाने वाले कमर्शियल मैसेज को ट्रैक करने के लिए ट्रेसिबिलिटी इंप्लीमेंट करने का निर्देश दिया था। बल्क में किए जाने वाले फर्जी मैसेज को ट्रैक करने के लिए यह अनिवार्य है, क्योंकि अगर ट्रेसिबिलिटी सिस्टम नहीं होगा तो किस लोकेशन से मैसेज भेजा गया है, वह ट्रैक नहीं किया जा सकेगा। ऐसे में स्कैमर्स को पकड़ने में परेशानी होगी।
TRAI ने सभी एक्सेस सर्विस प्रोवाइडर्स को इस सिस्टम को इंप्लीमेंट करने की डेडलाइन दी थी। ट्रेसिबिलिटी सिस्टम लागू होने के बाद फर्जी मैसेज भेजने वाले को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा। दूरसंचार कंपनियों ने TRAI को यह दलील दी थी कि इस सिस्टम को लागू करने में कई तकनीकी बाधाएं है, जिसकी वजह से उन्हें और समय दिया जाए। इसके बाद नियामक ने उन्हें एक महीने का एक्सटेंशन देने का फैसला किया था। हालांकि, इस नियम के लागू होने से किसी को OTP मिलने में किसी भी तरह की देरी नहीं होगी। दूरसंचार नियामक ने अपने पोस्ट में यह आज साफ कर दिया है।
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