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RBI की नई AFA टेक्नोलॉजी बैंकिग फ्रॉड पर लगाएगी पूर्ण विराम? जानें कैसे करेगी काम

RBI ने ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। केन्द्रीय बैंक डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए AFA यानी एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन लाने वाला है। यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के 2FA की तरह ही काम करेगा।

RBI, AFA- India TV Hindi Image Source : FILE RBI AFA

RBI ने बैंकिंग फ्रॉड पर रोक लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए हाल ही में नया फ्रेमवर्क ड्राफ्ट किया गया है। यह अल्टर्नेटिव ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म ऑनलाइन या डिजिटल पेमेंट करने वाले यूजर्स को सुरक्षा का अतिरिक्त लेयर तैयार करेगा। पिछले कुछ सालों में जिस तरह से ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं बढ़ी हैं, उसे देखते हुए रिजर्व बैंक का यह कदम देश के करोड़ों ऑनलाइन पेमेंट करने वाले यूजर्स के लिए राहत पहुंचाने वाला साबित होगा।

क्या है AFA (Additional Factor of Authentication)?

केन्द्रीय बैंक ने डिजिटल पेमेंट की सिक्योरिटी को टॉप प्रॉयरिटी पर रखा है। इसके लिए नया ऑथेंटिकेशन फैक्टर एग्रीगेशन (AFA) या एडिशनल फैक्टर ऑफ ऑथेंटिकेशन यूजर्स द्वारा किए जाने वाले ऑनलाइन पेमेंट के लिए नया सिक्योरिटी लेयर तैयार करेगा। यह सिक्योरिटी लेयर पहले से चले आ रहे प्रिवेंटिव मैथड यानी SMS पर आधारित OTP (वन टाइम पासवर्ड) को बेहतर बनाएगा।

रिजर्व बैंक ने अपनी ड्राफ्ट गाइडलाइंस में कहा कि डिजिटल पेमेंट करने वाले लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए AFA की जरूरत महसूस हुई है। डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए सबसे पहले SMS पर आधारित OTP को AFA के तौर पर इस्तेमाल किया गया। हालांकि, OTP पर बेस्ड सिक्योरिटी तरीका अभी सही तरीके से काम कर रहा है, लेकिन तकनीकी एडवांसमेंट की वजह से अल्टर्नेटिव ऑथेंटिकेशन मैकेनिज्म का इस्तेमाल करना समय की मांग है।

AFA कैसे करेगा काम?

केन्द्रीय बैंक ने अपनी गाइलाइंस में बताया कि AFA के लिए ग्राहक द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला कोई भी क्रेडेंशियल इनपुट का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसे पेमेंट इंस्ट्रक्शन के लिए वेरिफाइड किया जा सकेगा। RBI ने इसे नीचे दी गई तीन कैटेगरी में रखा है।

  • AFA के लिए यूजर्स द्वारा सेट किया गया पासवर्ड, पिन या फ्रेज शामिल किया जाएगा।
  • इसके अलावा हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर टोकन का इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • यही नहीं, सिक्योरिटी के स्तर को बढ़ाने के लिए बायोमैट्रिक यानी फिंगरप्रिंट का भी इस्तेमाल किया जा सकेगा।

रिजर्व बैंक रिस्क फ्री डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए OTP के अलावा पिन, पासवर्ड, बायोमैट्रिक या सिक्योरिटी टोकन का इस्तेमाल कर सकता है। इस तरीके से ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड पर आने वाले दिनों में लगाम लगाया जा सकता है।

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